Edited By Pardeep,Updated: 30 Sep, 2018 03:07 AM
18 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते समय इमरान खान ने ‘नया पाकिस्तान’ बनाने और देश की शासन प्रणाली में सुधार लाने आदि की बातें कही थीं परंतु वहां के राजनीतिक प्रेक्षकों ने तभी कह दिया था कि इमरान पाकिस्तान की सेना की सहायता से चुनाव...
18 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते समय इमरान खान ने ‘नया पाकिस्तान’ बनाने और देश की शासन प्रणाली में सुधार लाने आदि की बातें कही थीं परंतु वहां के राजनीतिक प्रेक्षकों ने तभी कह दिया था कि इमरान पाकिस्तान की सेना की सहायता से चुनाव जीते हैं अत: होगा वही जो उनके पीछे खड़े लोग (कट्टरपंथी) और पाकिस्तान की सेना चाहेगी।
प्रेक्षकों का कहना सच सिद्ध हुआ। इसका पहला सबूत 7 सितम्बर को मिला जब इमरान सरकार ने कट्टरपंथियों के दबाव पर ‘अहमदिया समुदाय’ से संबंधित अर्थशास्त्री ‘डा. आतिफ मियां’ को आर्थिक परिषद के सलाहकार के तौर पर मनोनीत करने के तीन दिन बाद ही उनका मनोनयन वापस ले लिया और दूसरा सबूत उस समय मिला जब 13 सितम्बर को इमरान ने देश की शक्तिशाली और बदनाम जासूसी एजैंसी ‘आई.एस.आई.’ की तारीफ करते हुए उसे पाकिस्तान की पहली रक्षा पंक्ति बताया।
इसी बीच पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर में एक भारतीय जवान की हत्या करके उसके शव को बुरी तरह क्षत-विक्षत कर डाला और इसके कुछ ही दिन बाद पाक समर्थित आतंकवादियों ने मस्जिद में घुस कर सुरक्षा बलों पर गोलीबारी करके एक अन्य भारतीय जवान को शहीद कर दिया। पाक समर्थित आतंकवादियों के अड्डों से लगातार हथियार बरामद हो रहे हैं व पुलिस पर हमले हो रहे हैं। भारत के विदेश राज्यमंत्री जनरल वी.के. सिंह ने इमरान सरकार को सेना की कठपुतली बताया है और इसकी पुष्टिï इस तथ्य से भी होती है कि इमरान खान के शासन में भी पाकिस्तानी सेना की ओर से भारत विरोधी गतिविधियां पहले की तरह ही जारी हैं तथा इमरान खान बेबस हैं।
अब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री ‘शाहिद खाकान अब्बासी’ ने दावा किया है कि ‘‘पाकिस्तान की सेना अभी भी देश की राजनीति और सरकार द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया में दखलअंदाजी करती है तथा सरकार पर हावी है और सेना ही देश के राजनीतिक पटल पर मुख्य भूमिका निभा रही है।’’ इसके साथ ही अब्बासी ने यह भी दावा किया कि ‘‘मीडिया पर सरकार का नियंत्रण है और यहां तक कि अदालतें भी सेना की दखलअंदाजी की शिकायत कर रही हैं।’’ अब्बासी का यह भी कहना है कि ‘‘सेना कानून से ऊपर ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में सेना ही कानून है और हम अपनी पिछली भूलों से कोई सबक नहीं ले रहे।’’ ‘शाहिद खाकान अब्बासी’ के बयान से एक बार फिर इस तथ्य की पक्की पुष्टिï हो गई है कि पाकिस्तान में अभी भी सेना ही सर्वेसर्वा है और जब तक पाकिस्तान में सेना का वर्चस्व रहेगा तब तक इस क्षेत्र में शांति की आशा करना निरर्थक ही होगा।—विजय कुमार