Edited By shukdev,Updated: 15 Oct, 2018 06:06 PM
पाकिस्तान में हुए उपचुनावों में प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ‘तहरीक ए इन्साफ’ को झटका लगा है, वहीं नेशनल असेंबली में अपनी सदस्य संख्या बढ़ाते हुए, अपदस्थ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पीएमएल-एन की अगुवाई वाले विपक्षी गठबंधन ने पांच और संसदीय सीटें...
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में हुए उपचुनावों में प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ‘तहरीक ए इन्साफ’ को झटका लगा है, वहीं नेशनल असेंबली में अपनी सदस्य संख्या बढ़ाते हुए, अपदस्थ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पीएमएल-एन की अगुवाई वाले विपक्षी गठबंधन ने पांच और संसदीय सीटें अपने कब्जे में कर ली हैं। पाकिस्तान में रविवार को पंजाब में नेशनल असेंबली की नौ सीटों, सिंध में एक सीट, खैबर पख्तूनख्वा की एक सीट के लिए तथा 24 प्रांतीय असेंबली सीटों के लिए उप चुनाव हुए। इन 24 प्रांतीय असेंबली सीटों में से 11 सीटें पंजाब प्रांत में, नौ खैबर पख्तूनख्वा में, दो सिंध में और दो बलूचिस्तान में हैं। जिन सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, उनमें से ज्यादातर सीटें ऐसी हैं जिनसे, 25 जुलाई को हुए आम चुनावों में एक से अधिक सीटों पर जीत दर्ज कराने वाले उम्मीदवारों ने बाद में इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने वालों में प्रधानमंत्री इमरान खान शामिल हैं जिन्होंने नेशनल असेंबली की पांच सीटों से चुनाव लड़ा और पांचों सीटों पर जीते थे। उपचुनाव में इमरान की पार्टी, उनकी छोड़ी गई दो सीटों पर हार गई। उनकी एक सीट लाहौर (एनए-131) है जहां से पूर्व रेल मंत्री और पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (पीएमएल-एन) के नेता ख्वाजा साद रफीक ने जीत हासिल की है।
बन्नू सीट से मुत्ताहिदा मजलिस ए अमल (एमएमए) के जाहिद अकरम दुर्रानी ने पीटीआई के नसीम अली शाह को हराया। पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी 25 जुलाई को हुए चुनाव में दो सीटों से हार गए थे। उपचुनाव में उन्होंने एनए-124 लाहौर में लगभग एकतरफा मुकाबले में पीटीआई के गुलाम मोहिउद्दीन दीवान को हराया। पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने बताया कि पीएमएल-एन और पीटीआई ने नेशनल असेंबली में चार चार सीटें जीती हैं जबकि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद ने दो सीटों और एमएमए ने एक सीट जीती है। अब नेशनल असेंबली में विपक्ष की सीटों की संख्या में पांच का इजाफा हुआ है जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन को छह और सीटें मिली हैं। उपचुनावों के नतीजों से संघीय या प्रांतीय सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन इससे विपक्षी दलों को पुनर्जीवित होने में मदद मिलेगी।