पाक मीडिया ने किया खुलासा, आतंकियों को पाल रहा पाकिस्तान

Edited By ,Updated: 08 Jun, 2016 10:13 PM

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आतंकवाद पर पाकिस्तान के दोहरे खेल को इस बार वहां की मीडिया ने बेनकाब किया है। पाकिस्तानी समाचापत्र...

इस्लामाबाद: आतंकवाद पर पाकिस्तान के दोहरे खेल को इस बार वहां की मीडिया ने बेनकाब किया है। पाकिस्तानी समाचापत्र द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि किस तरह से प्रतिबंध के बावजूद आतंकी संगठनों की गतिविधियां जारी हैं। बुधवार को प्रकाशित रिपोर्ट में जिन संगठनों का जिक्र है उनमें हाफिज सईद का लश्कर-ए-तोयबा और मसूद अजहर का जैश-ए-मोहम्मद भी शामिल हैं।

रिपोर्ट में केंद्रीय गृह मंत्रालय की क्षमता पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि नए नाम से संगठित होकर ये संगठन सरकार के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं। अखबार के अनुसार 1997 का आतंकरोधी कानून किसी संगठन पर प्रतिबंध लगाने और वह दोबारा संगठित नहीं हो इसकी निगरानी का अधिकार गृह मंत्रालय को देता है। लेकिन, प्रतिबंधित सूची में नाम शामिल करने के बाद मंत्रालय इनकी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम उठाने में नाकाम रहा है।

अखबार के मुताबिक, मंत्रालय ने बीते साल दिसंबर में सीनेट में प्रतिबंधित संगठनों की सूची पेश की थी। इसमें 61 संगठनों के नाम शामिल थे। इसके बाद से यह सूची अपडेट नहीं की गई और न ही इसे सार्वजनिक किया गया। मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद लश्कर का मुखिया है। 2002 में इस संगठन पर प्रतिबंध लगने के बाद सईद ने जमात-उद-दावा के नाम से नया संगठन बना लिया। अखबार के अनुसार संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध के बावजूद सरकार ने जमात को निगरानी सूची में रखा है। वहीं, हाफिज पूरे देश में घूम-घूमकर सार्वजनिक रूप से जहर उगलता रहता है।

यही नहीं, भारत में कई हमलों में जैश का हाथ रहा है। इस साल की शुरुआत में पठानकोट एयरबेस पर हुआ हमला भी इसमें शामिल है। इसका मुखिया मसूद अजहर है। 22 जनवरी 2002 को जैश पर प्रतिबंध लगा। खुदम-उल-इस्लाम के नाम से यह संगठन फिर खड़ा हो गया। 15 नवंबर 2003 को इस पर भी प्रतिबंध लगा दिया। इसके बावजूद गतिविधियां जारी हैं।

अखबार के मुताबिक, शिया विरोधी सिपाह-ए-साहबा पाकिस्तान (एसएसपी) पर 22 जनवरी 2002 को प्रतिबंध लगा। इससे जुड़े लोग मिल्ल्त-ए-इस्लामी के नए नाम से संगठित हो गए। नवंबर 2003 में इस पर भी प्रतिबंध लगा। इसके बाद अल-ए-सुन्नत वाल जमात के नाम से संगठन ने गतिविधियां शुरू कर दीं। 15 फरवरी 2012 को इसे भी प्रतिबंधित कर दिया गया, पर गतिविधियां बंद नहीं हुईं।

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