पाकिस्तानी मीडिया ने उठाए सवाल -फ्रांस को लेकर बवाल लेकिन चीन में उइगरों पर चुप क्यों इमरान?

Edited By Tanuja,Updated: 30 Nov, 2020 12:16 PM

pak scribe says imran silent on uyghur persecution but lectures france

पाकिस्तान अपने दोहरे चरित्र के कारण वैश्विक मंचों पर किरकिरी करवाता रहता है । लेकिन इस बार अपने ही घर में पाकिस्तान की दोहरी नीयत के खिलाफ आवाज उठने लगी है...

इस्लामाबादः पाकिस्तान अपने दोहरे चरित्र के कारण वैश्विक मंचों पर किरकिरी करवाता रहता है । लेकिन इस बार अपने ही घर में पाकिस्तान की दोहरी नीयत के खिलाफ आवाज उठने लगी है। पाकिस्तानी मीडिया ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं कि फ्रांस को धार्मिक आजादी पर सीख देने वाले पाकिस्तान ने चीन के उइगर मुस्लिमों के हालात पर चुप्पी क्यों साध रखी है। पाकिस्तान के पत्रकार कुअंर खुलदने शाहिद का कहना है कि देश में अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों की संख्या में हाल के सालों में गिरावट आई है। शाहिद ने पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति इम्मैन्युअल मैक्रों के खिलाफ दिए गए पाकिस्तान सरकार और प्रधानमंत्री इमरान खान के बयानों का जिक्र किया है।

 

उन्होंने लिखा है, 'पाकिस्तान के नेताओं को फ्रांस के मुस्लिमों में ज्यादा दिलचस्पी है और वे बड़े आराम से उइगरों पर चुप्पी साधे रहते हैं। वे यह नहीं देख पाते हैं कि इस्लाम फ्रांस में आगे बढ़ रहा है। देश में 1971 में 33 मस्जिदें थीं और आज 2,500 हैं।' शाहिद ने लिखा है कि यह दयनीय बात है कि पाकिस्तान दूसरे धर्मों के प्रति इस असहिष्णुता का पालन नहीं कर सकता, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों की संख्या हाल के सालों में गिरती जा रही है। उन्होंने सवाल किया है, 'अहमदियों के खिलाफ धार्मिक भेदभाव और हर साल एक हजार लोगों के इस्लाम में धर्म परिवर्तन के बावजूद, पाकिस्तान को लगता है कि वह फ्रांस को धार्मिक आजादी पर लेक्चर दे सकता है, क्यों?'

 

गौरतलब है कि इमरान खान सरकार की मानवाधिकार मंत्री शिरीज मजारी ने एक फर्जी खबर का लिंक शेयर कर दिया था जिसका खुद पाकिस्तान में फ्रांस के दूतावास ने खंडन किया था। मजारी ने जो ट्वीट किया था उसमें दावा किया गया था कि फ्रांस में मुस्लिम बच्चों को एक आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जाएगा जिससे उन्हें पहचाना जा सके। मजारी ने इसकी तुलना यहूदियों के साथ किए गए नाजियों के व्यवहार से की थी।

 

गलती बताए जाने पर मजारी ने ट्वीट डिलीट तो कर दिया लेकिन सवाल किया कि सार्वजनिक स्थानों पर ईसाई सिस्टरों को उनकी 'आदत' (पहनावा) पहनने की इजाजत है तो मुस्लिम महिलाएं हिजाब क्यों नहीं पहन सकतीं? शाहिद का कहना है कि मजारी इस बात को नजरअंदाज कर रही हैं कि फ्रांस में पब्लिक संस्थानों में धार्मिक निशानों पर प्रतिबंध है। शाहिद ने यह भी कहा है कि जिन बातों के लिए फ्रांस को निशाना बनाया जा रहा है, मुस्लिम देशों में ये चीजें पहले ही की जाती हैं, जैसे मस्जिदों और इमामों पर सरकार का नियंत्रण।

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