Edited By Tanuja,Updated: 19 Apr, 2020 03:54 PM
पाकिस्तान कोरोना वायरस के खिलाफ सख्त कदम उठाने में कोताही बरतती आ रही है। इसी का परिणाम है कि इमरान सरकार अब कट्टरपंथी मौलवियों के आगे झुक गई है
इस्लामाबादः पाकिस्तान कोरोना वायरस के खिलाफ सख्त कदम उठाने में कोताही बरतती आ रही है। इसी का परिणाम है कि इमरान सरकार अब कट्टरपंथी मौलवियों के आगे झुक गई है। मौलवियों के दबाव के चलते पाकिस्तान सरकार ने शनिवार को रमजान के दौरान मस्जिदों में जमात के साथ नमाज अदा करने की सशर्त अनुमति दे दी। सरकार के इस कदम से दुनियाभर में 154,000 से अधिक लोगों की जान ले चुके कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम के अभियान को तगड़ा झटका लग सकता है। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने सभी प्रांतों के प्रतिनिधियों और धार्मिक नेताओं के साथ बैठक के बाद यह घोषणा की।
अल्वी ने कहा कि एक 20 सूत्रीय योजना पर सहमति बनी है। उन्होंने कहा, '' यह एक महत्वपूर्ण समझौता है और सभी धार्मिक नेताओं की आम सहमति के बाद इस नतीजे पर पहुंचा गया है।'' मौलवी मस्जिदों में नमाज के दौरान सामाजिक दूरी बरकरार रखने के सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करने पर सहमत हुए हैं। समझौते के मुताबिक, 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों, नाबालिगों और फ्लू से पीडि़त लोगों को मस्जिद में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। तरावीह (खास नमाज) मस्जिदों के अलावा सड़क, फुटपाथ या अन्य किसी स्थान पर अदा नहीं होनी चाहिए।
इसके अलावा, मस्जिदों में रोजाना दरी हटाकर फर्श को संक्रमण मुक्त किया जाएगा। साथ ही नमाज पढ़ने आने वाले लोगों को एक-दूसरे से छह फीट की दूरी बरकरार रखनी होगी और मास्क पहनना अनिवार्य होगा। अल्वी ने कहा कि अगर सरकार को कभी भी लगता है कि दिशानिर्देशों की अवहेलना हो रही है अथवा बीमारी फैल रही है तो मस्जिदों को खोलने के फैसले पर दोबारा विचार किया जा सकता है।
बता दें कि पाकिस्तान में शनिवार को कोरोना वायरस के 465 नए मरीज आने के साथ ही संक्रमितों की संख्या बढ़कर 7,481 हो गई। वहीं, सरकार मस्जिदों में लोगों के जमा होने के खिलाफ आदेशों का उल्लंघन करने वाले मौलवियों पर लगाम कसने के लिए संघर्ष कर रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा मंत्रालय ने बताया कि अब तक 143 लोगों की मौत हो चुकी है। अन्य 1,832 मरीज स्वस्थ हो गए। सरकार के सामने सबसे बड़ी बाधा मौलवियों को मस्जिदों में एक साथ मिलकर सामूहिक इबादत से रोकने के लिए राजी करना हो रहा है।