पाक में चुनाव का हिस्सा नहीं बनेंगे ये 40 लाख लोग

Edited By Tanuja,Updated: 04 Jul, 2018 05:58 PM

pakistan election ahmadi community will not be able to cast their vote

करीब 14 सौ साल पुराने इस्लाम में कई फिरके (सम्प्रदाय) बन गए हैं। हर फिरका दूसरे को काफ़िर समझता है। इन्हीं में एक समुदाय है अहमदी समुदाय। इसका नाता हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से। अहमदी समुदाय भारत में भी है और शान से अपनी आस्था के अनुसार जीता है...

 इस्लामाबादः करीब 14 सौ साल पुराने इस्लाम में कई फिरके (सम्प्रदाय) बन गए हैं। हर फिरका दूसरे को काफ़िर समझता है। इन्हीं में एक समुदाय है अहमदी समुदाय। इसका नाता हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से। अहमदी समुदाय भारत में भी है और शान से अपनी आस्था के अनुसार जीता है लेकिन जिस जिल्लत और शर्मिंदगी के साथ वह पाकिस्तान में रहता है उसकी मिसाल दुनिया में कहीं और नहीं है। अहमदी खुद को मुस्लिम कहते हैं पर पकिस्तान का संविधान इससे इंकार करता है। इसका नतीजा यह हुआ है कि वह अपने ही देश की राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा नहीं हैं। 1974 (जब उन्हें ग़ैर-मुस्लिम घोषित किया गया) से लेकर आजतक वह अपने ऊपर हुई नाइंसाफ़ी का विरोध कर रहे हैं ।
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 25 जुलाई को  होने वाले पाकिस्तान के आम चुनावों में अगले पांच साल के लिए एक सरकार चुनी जाएगी मगर इसमें अहमदियों की राय शामिल नहीं होगी। यानि 4 मिलियन (40 लाख) अहमदी पाक चुनाव में मतदान के हकदार नहीं हैं।  1998 की पकिस्तानी जनगणना  के मुताबिक़ पाकिस्तान में 2 लाख 91 हज़ार अहमदी रहते हैं जो पाकिस्तान की कुल जनसंख्या का महज़ 0.22% है  लेकिन यह तादाद शक के दायरे में है क्योंकि अहमदियों का कहना है कि ‘हुकूमत इसलिए हमारी जनसंख्या का सही आंकड़ा नहीं पेश करती है क्योंकि उसी आधार पर उसे संसद में हमें प्रतिनिधित्व देना पड़ेगा’।

दूसरी स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा जनसंख्या का जो आंकड़ा पेश किया गया है उसके मुताबिक पाकिस्तान में अहमदियों की संख्या 2 मिलियन से 5 मिलियन के बीच है। अगर इस अनुपात के बीच से कोई रास्ता निकला जाय तो कहा जा सकता है कि पाकिस्तान में 4 मिलियन (40 लाख) अहमदी रहते हैं।  यही वह आंकड़ा है जिसे ज्यादातर लोग अपने विश्लेषणों में प्रयोग में लाते हैं। सारांश में कहें तो अहमदिया सम्प्रदाय मुसलामानों के बीच से निकला हुआ एक सम्प्रदाय है। पंजाब प्रान्त की धरती से उपजा यह सम्प्रदाय, विभाजन के बाद पकिस्तान के हिस्से में चला गया और तभी से शुरू हुआ अहमदियों पर अत्याचार का सिलसिला जो बदस्तूर जारी है।इस सिलसिले का सबसे बदसूरत पहलू यह है कि पकिस्तान ने कानून बनाकर उन्हें खुद को मुस्लिम कहने पर पाबन्दी लगा दी है।

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