FATF की ‘ग्रे' सूची से निकलने के लिए पाकिस्तान चल रहा कूटनीतिक दांव

Edited By Tanuja,Updated: 14 Jun, 2022 03:56 PM

pakistan launches diplomatic effort to get out off fatf grey list

पाकिस्तान ने विश्व स्तर पर धनशोधन तथा आतंकवादी वित्तपोषण के खतरों से निपटने वाले ‘वित्तीय कार्रवाई कार्यबल'' (FATF) की ‘ग्रे'' सूची से बाहर...

इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने विश्व स्तर पर धनशोधन तथा आतंकवादी वित्तपोषण के खतरों से निपटने वाले ‘वित्तीय कार्रवाई कार्यबल' (FATF) की ‘ग्रे' सूची से बाहर निकलने के लिए व्यापक स्तर पर कूटनीतिक प्रयास किए हैं। मीडिया की एक खबर में मंगलवार को यह जानकारी दी गई। पाकिस्तान, धन शोधन पर रोक लगाने में विफल रहने और आतंकवाद वित्तपोषण के कारण पेरिस स्थित ‘वित्तीय कार्रवाई कार्यबल' (FATF) की ‘ग्रे' सूची में 2018 से है। उसे अक्टूबर 2019 तक पूरा करने के लिए एक कार्ययोजना दी गई थी। हालांकि, FATF के आदेशों का पालन करने में विफल रहने के कारण देश अब भी इस सूची में बना हुआ है।

 

‘न्यूज इंटरनेशनल' की खबर के अनुसार, पाकिस्तान को सूची से बाहर निकालने के लिए तुर्की, चीन और मलेशिया के वोट की जरूरत है और तीनों देशों ने पाकिस्तानी अधिकारियों को इसके लिए पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया है। ‘द न्यूज इंटरनेशनल' ने मंगलवार को आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि सूची में पाकिस्तान की स्थिति पर निर्णय जर्मनी की राजधानी बर्लिन में 14 से 17 जून के बीच हो रही बैठक के दौरान किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार ने अलग-अलग देशों की यात्रा के दौरान FATF पर अहम चर्चा की।

 

खबर के अनुसार, पाकिस्तान ने दंडात्मक कार्रवाई के अलावा, एफएटीएफ कार्य योजना के लगभग सभी बिंदुओं को लागू किया है और उसने मुकदमे भी चलाए तथा सभी प्रासंगिक कानूनी संशोधन भी किए हैं। बर्लिन में एफएटीएफ की बैठक 17 जून तक चलेगी और बैठक के आखिरी दिन फोरम तय करेगा कि किन देशों को अपनी ‘काली' और ‘ग्रे' सूची में रखना है। पाकिस्तान के ‘ग्रे' सूची में बने रहने से उसके लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (ADB) और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता प्राप्त करना मुश्किल होता जा रहा है, जिससे देश के लिए समस्याएं और बढ़ रही हैं।

 

पाकिस्तान अब तक चीन, तुर्की और मलेशिया जैसे करीबी सहयोगियों की मदद से ‘काली' सूची में शामिल होने से बचता रहा है। एफएटीएफ एक अंतर-सरकार संस्था है। इसकी स्थापना 1989 में धन शोधन, आतंकवाद वित्त पोषण और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिए जो खतरे हैं, उनसे निपटने के लिए की गई थी। एफएटीएफ के वर्तमान में दो क्षेत्रीय संगठन यूरोपीय आयोग और खाड़ी सहयोग परिषद सहित 39 सदस्य हैं। भारत, एफएटीएफ परामर्श और उसके एशिया प्रशांत समूह का सदस्य है।  

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