आंतकी संगठन हमास के पीछे भी पाकिस्तान का हाथ, फिलीस्तीनी आतंकियों को दे रहा ट्रेनिंग

Edited By Tanuja,Updated: 23 Jun, 2021 05:32 PM

pakistan s dangerous role in sustaining hamas remains off the radar report

पाकिस्तान पर पश्चिम एशिया में नफरत फैलाने का आरोप लगाया गया है। टाइम्स आफ इजरायल में प्रकाशित भू-राजनीतिक विशेषज्ञ फैबियन

तेल अवीव: पाकिस्तान  पर पश्चिम एशिया में नफरत फैलाने का आरोप लगाया गया है। टाइम्स आफ इजरायल में प्रकाशित भू-राजनीतिक विशेषज्ञ फैबियन बुसरत का कहना है कि पाकिस्तान फिलीस्तीनी आतंकियों हमास को पर्दे के पीछे से स्पोर्ट दे रहा है।  हमास पश्चिम एशिया में कोई अकेला आतंकी संगठन नहीं है लेकिन पाकिस्तान उसका बढ़चढ़कर साथ दे रहा है। पाकिस्तान ने  फिलीस्तीन की पैरवी दोगुनी कर दी है। पाकिस्तानी लोग खुलकर फिलीस्तीनी लोगों की वकालत करते हैं। ​पाकिस्तान पर्दे के पीछे से फिलीस्तीनी आतंकी संगठन हमास को न सिर्फ पनाह दे रहा है बल्कि उसके आतंकियों को पूरा प्रशिक्षण भी दे रहा है ताकि पश्चिम एशिया के उलझे हुए हालात को और हवा दी जा सके।

 

ईरान, कतर और तुर्की का हमास को मदद देने के पुख्ता सुबूत हैं  लेकिन इस दिशा में पाकिस्तान की भूमिका से लोग अभी तक वाकिफ नहीं हैं। यह मदद पूरी तरह खुफिया तरीके से दी जा रही है।  पाकिस्तान और हमास की वैचारिक समानता उनके मजबूत संबंधों का मुख्य आधार है। रिपोर्ट के अनुसार इजरायल के खिलाफ हमास का इस्तेमाल करके पाकिस्तान अरब देशों में   इस्लामिक एजेंडा स्थापित करके अपना रुतबा बढ़ाना चाहता है।  भू-राजनीतिक विशेषज्ञ फैबियन बुसरत का कहना है कि ईरान, कतर और तुर्की का हमास को मदद देने के पुख्ता सुबूत हैं। लेकिन इस दिशा में पाकिस्तान की भूमिका से लोग अभी तक वाकिफ नहीं हैं। यह मदद पूरी तरह खुफिया तरीके से दी जा रही है।

 

यह जानकारी तब सामने आई है जब हाल ही में इजरायल और हमास के बीच भीषण संघर्ष होने के बाद संघर्षविराम घोषित किया गया है। राजनीतिक और विदेश मामलों के सेंटर (सीपीएफए) के अध्यक्ष बुसरत ने कहा कि विचारधारा के मोर्चे पर हमास ने पाकिस्तान और जेहादी संगठनों से अपने रिश्ते गहरे कर लिए हैं। 'मुस्लिम ब्रदरहुड' से पनपे हमास की ताकत फिर से उभरी है और जमात-ए-इस्लामी की ताकत बढ़ी है। जमात पाकिस्तान में जेहाद का प्रमुख स्रोत है। यह दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इजरायल ने कट्टरपंथी न्यायाधीश इब्राहिम रईसी को ईरानी राष्ट्रपति चुने जाने की निंदा की । साथ ही कहा है कि उनकी सत्ता 'क्रूर जल्लादों का शासन' होगा। उसने वैश्विक बिरादरी से अपील है कि उन्हें ईरान से एक नए परमाणु समझौते पर वार्ता नहीं करनी चाहिए।
 
 

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