Edited By Tanuja,Updated: 22 Oct, 2020 04:22 PM
आंतकवाद वित्त पोषण यानि टेरर फंडिग के मामले में पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। पाकिस्तान का फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ...
इस्लामाबादः आंतकवाद वित्त पोषण यानि टेरर फंडिग के मामले में पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। पाकिस्तान का फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलना मुश्किल लग रहा है। भारत के मोस्ट वांटेड आतंकी मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद पर कार्रवाई न करने समेत पाकिस्तान FATF के छह अहम दायित्वों को पूरा करने में नाकाम रहा है। FATF की छह शर्तों को पूरा न करने के कारण पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में ही बने रहने की संभावना बढ़ गई है।
वहीं, आधिकारिक सूची से अचानक चार हजार आतंकियों का नाम गायब होने से भी उसकी मुसीबतें बढ़ी हैं। सूत्रों के अनुसार FATF की वर्चुअल मीटिंग 21 से 23 अक्तूबर को होगी, जिसमें पाकिस्तान को लेकर अंतिम फैसला होगा। अधिकारी के अनुसार, (FATF) ने पाकिस्तान को 27 दायित्व का एक्शन प्लान दिया था, जिसमें से पाक 21 ही पूरा कर सका है।
वहीं, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी उसकी सरजमीं से चल रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान से संतुष्ट नहीं हैं। अगर पाकिस्तान ग्रे सूची में बरकरार रहता है तो उसके लिए IMF, एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से वित्तीय सहायता मिलना मुश्किल होगा। इसके साथ ही बैठक में यह भी देखा जाएगा कि क्या पाकिस्तानी अधिकारी अवैध धन और मूल्य हस्तांतरण सेवाओं के खिलाफ सहयोग कर रहा है या नहीं।
इससे पहले FATF की बैठक जून में होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। बता दें कि पाकिस्तान से कहा गया था कि उसे जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर लश्कर के मुखिया हाफिज सईद और संगठन के ऑपरेशनल कमांडर जाकिर उर रहमान लखवी जैसे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी।