Edited By Tanuja,Updated: 12 Jan, 2021 10:21 AM
पोप फ्रांसिस ने गिरजाघर के नियमों में बदलाव किए हैं ताकि महिलाओं को विशेष तौर पर प्रार्थना के दौरान और कार्य करने की अनुमति होगी लेकिन कहा कि ...
रोम: पोप फ्रांसिस ने गिरजाघर के नियमों में बदलाव किए हैं ताकि महिलाओं को विशेष तौर पर प्रार्थना के दौरान और कार्य करने की अनुमति होगी लेकिन कहा कि वे पादरी नहीं बन सकती हैं। फ्रांसिस ने कानून में संशोधन कर दुनिया के अधिकतर हिस्सों में चल रही प्रथा को औपचारिक रूप दिया कि महिलाएं इंजील (गोस्पेल) पढ़ सकती हैं और वेदी पर युकरिस्ट मंत्री के तौर पर सेवा दे सकती हैं।
पहले इस तरह की भूमिकाएं आधिकारिक रूप से पुरुषों के लिए आरक्षित होती थीं, हालांकि इसके कुछ अपवाद भी थे।फ्रांसिस ने कहा कि गिरजाघरों में महिलाओं के ‘‘अमूल्य योगदान’’ को मान्यता देने के तौर पर ये बदलाव किए गए हैं। साथ ही कहा कि सभी बैपटिस्ट कैथोलिकों को गिरजाघर के मिशन में भूमिका निभानी होगी।
ये बदलाव ऐसे समय में हुए हैं जब फ्रांसिस पर दबाव था कि महिलाओं को डिकॉन (छोटे पादरी) के तौर पर काम करने की अनुमति दी जाए। डिकॉन शादी कराने, बैपटिज्म और अंतिम संस्कार कराने जैसे कई काम पादरियों की तरह करते हैं लेकिन उनका ओहदा पादरी से नीचे होता है। वर्तमान में ये कार्य पुरुषों के लिए आरक्षित हैं लेकिन इतिहासकारों का कहना है कि पुराने समय में गिरजाघरों में ये कार्य महिलाएं करती थीं।
फ्रांसिस ने विशेषज्ञों के दूसरे आयोग का गठन किया है जो अध्ययन करेगा कि क्या महिलाएं डिकॉन बन सकती हैं। इस तरह का पहला आयोग आम सहमति बनाने में विफल रहा था। बहरहाल वेटिकन की महिला पत्रिका की पूर्व संपादक लुसेटा स्काराफिया ने नए बदलावों को ‘‘दोहरा फंदा’’’ बताया है। उन्होंने कहा कि फ्रांसिस ने वर्तमान प्रथा को महज औपचारिक बनाया है। उन्होंने फोन पर दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘इससे महिलाओं के डिकॉन बनने का रास्ता बंद हो गया है।’’ उन्होंने बदलाव को महिलाओं के लिए ‘‘एक कदम पिछड़ने’’ जैसा बताया।