Edited By Tanuja,Updated: 22 Feb, 2021 02:56 PM
फ्रांस की राजधानी पेरिस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) प्लेनरी की आज होने वाली बैठक से ठीक पहले बलूच, पश्तून, उइगर, तिब्बत और हांगकांग मूल के असंतुष्टों ने पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन किया...
इंटरनेशनल डेस्कः फ्रांस की राजधानी पेरिस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) प्लेनरी की आज होने वाली बैठक से ठीक पहले बलूच, पश्तून, उइगर, तिब्बत और हांगकांग मूल के असंतुष्टों ने पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करे और इस मामले से चीन की दखलअंदाजी को दूर रखे।
उन्होंने का कि पाकिस्तान बार-बार FATF की कार्रवाई से बचने के लिए चीन की मदद लेता रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान सरकार आतंकी समूह के नेताओं को पकड़ने की खोखली कार्रवाईयां दिखा कर FATF की आंखों में धूल झोंक रही है। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध आंतकी संस्थाएं लश्कर-ए-तैयबा (अब जमात उद दावा) के रूप में फिर से संगठित और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) फंड इकट्ठा करने सहित पाक में स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे हैं ।
उन्होंने आरोप लगाया कि पाक सरकार की शह पर ही “JuD के चैरिटी फ्रंट, फलाह ई इन्सानियत फाउंडेशन (FeF) ने धन एकत्र करना जारी रखा है। FeF प्रमुख हाफिज अब्दुर रऊफ सक्रिय रूप से उपदेश देते रहे हैं। इसी तरह जमात उद दावा नेता हाफिज सईद के बेटे और अमेरिकी ट्रेजरी विभाग द्वारा नामित आतंकवादी तलहा सईद हाल के महीनों में सक्रिय है। लाहौर में मार्काज़ अल कुद्स सहित JuD कार्यालय भी अपने मासिक व्यय को पूरा करने के लिए धन जुटाने में सक्षम हैं। गौरतलब है कि आज से होने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ( FATF) की महत्वपूर्ण वर्चुअल बैठक में पाकिस्तान समेत कई देशों को ग्रे लिस्ट से बाहर करने या उन्हें ब्लैक लिस्ट में शामिल करने पर फैसला हो सकता है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या चीन और तुर्की इस बार भी उसे बचाने में कामयाब हो पाएंगे। खास बात यह है कि यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब पूरा विपक्ष इमरान सरकार के खिलाफ एकजुट है। ऐसे में FATF की पाकिस्तान के खिलाफ कोई एक्शन इमरान सरकार को और मुश्किल में डाल सकता है। खासकर तब जब पाकिस्तान पूरी तरह से आर्थिक रूप से तंग हो चुका है। इसके अलावा पर्ल की रिहाई का मामला भी उसकी राह में बड़ी बाधा बन सकता है। इस बैठक में एक बड़ा सवाल यह भी होगा कि पाकिस्तान ने अब तक जेयूडी-जैश के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की?