प्रदर्शनकारियों ने हांगकांग विधान सभा में घुसने का किया प्रयास

Edited By Tanuja,Updated: 01 Jul, 2019 01:47 PM

protesters try to smash way into hong kong legislative council

सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को हांगकांग के लेजिस्लेटिव काउंसिल में घुसने का प्रयास किया...

हांगकांगः सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को हांगकांग के लेजिस्लेटिव काउंसिल में घुसने का प्रयास किया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें रोकने लिए मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल किया।  दंगा रोधी पुलिस को भी इमारत में देखा गया। यह इमारत पिछले तीन सप्ताह से प्रदर्शन का केन्द्र बना हुआ है। प्रदर्शनकारी लोगों के चीन प्रत्यर्पण की अनुमति देने वाले विधेयक का वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

प्रदर्शन के कारण
दुनिया का बड़ा कारोबारी हब और अल्फा प्लस शहरों में शुमार हांगकांग को ब्रिटेन ने साल 1997 में स्वायत्ता की शर्त के साथ चीन को सौंपा था। लेकिन अब नए प्रत्यर्पण बिल ने लोगों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। बिल का विरोध करने वाले चीन और हांगकांग को अलग मानते हैं। उनका कहना है कि प्रत्यर्पण बिल में किए गए संशोधन हांगकांग की स्वायत्ता को प्रभावित करेंगे। 

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आलोचकों के मुताबिक नया संशोधन हांगकांग के लोगों को भी चीन की दलदली न्यायिक व्यवस्था में धकेल देगा। आलोचक मानते हैं कि चीन में एक बार आरोप लगा तो व्यक्ति को ऐसी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होता है जहां अधिकांश आपराधिक मामले सजा पर समाप्त होते हैं। इस नए प्रत्यर्पण कानून का विरोध करने वालों में कानूनविद्, कारोबारी, मानव अधिकार कार्यकर्ताओं समेत कई आम लोग भी हैं जिनके लिए हांगकांग में कानून का शासन सबसे अहम हैं।वहीं हांगकांग की चीफ एक्जेक्यूटिव कैरी लैम ने लोगों को भरोसा दिलाया है कि मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने वाली सभी बातें कानून में जोड़ी गई हैं। 

 
क्या है प्रत्यर्पण कानून
हांगकांग के मौजूदा प्रत्यर्पण कानून में कई देशों के साथ इसके समझौते नहीं है।  इसके चलते अगर कोई व्यक्ति अपराध कर हांगकांग वापस आ जाता है तो उसे मामले की सुनवाई के लिए ऐसे देश में प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता जिसके साथ इसकी संधि नहीं है। चीन को भी अब तक प्रत्यर्पण संधि से बाहर रखा गया था। लेकिन नया प्रस्तावित संशोधन इस कानून में विस्तार करेगा और ताइवान, मकाऊ और मेनलैंड चीन के साथ भी संदिग्धों को प्रत्यर्पित करने की अनुमति देगा। हांगकांग की नेता कैरी लैम का कहना है कि ये बदलाव जरूरी हैं ताकि न्याय और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे बदलाव नहीं किए गए तो हांगकांग "भगोड़ों का स्वर्ग" बन जाएगा। 

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