Edited By PTI News Agency,Updated: 27 Mar, 2020 08:33 PM
वाशिंगटन, 27 मार्च (भाषा) भारतीय अमेरिकी डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक प्रभावशाली अमेरिकी संगठन ने स्वास्थ्य सुविधा प्रदाताओं को मास्क एवं अन्य निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) प्रदान करने के लिए चंदा अभियान शुरू किया है। ये स्वास्थ्य...
वाशिंगटन, 27 मार्च (भाषा) भारतीय अमेरिकी डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक प्रभावशाली अमेरिकी संगठन ने स्वास्थ्य सुविधा प्रदाताओं को मास्क एवं अन्य निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) प्रदान करने के लिए चंदा अभियान शुरू किया है। ये स्वास्थ्य सुविधा प्रदाता कोरोना वायरस के खिलाफ अपनी जंग में इन जरूरी सामानों की कमी से जूझ रहे हैं।
अमेरिका में सबसे बड़े जातीय चिकित्सा संगठन अमेरिकन फीजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन (एएपीआई) ने कहा कि चूंकि चीन में ही ज्यादातर निजी सुरक्षा उपकरणों का उत्पादन होता है, ऐसे में उनके उत्पादन एवं वितरण में देरी की वजह से स्वास्थ्य सुविधा प्रदाता अति जरूरी मास्क एवं अन्य आवश्यक सामानों की किल्लत से जूझ रहे हैं।
एएपीआई ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने साथियों ने पेशेवरों की मदद और उन्हें मास्क प्रदान करने के लिए चंदा अभियान शुरू किया है क्योंकि ये मास्क इस घातक वायरस की चपेट में आने से रोकने में अहम हैं।
संगठन के अध्यक्ष सुरेश रेड्डी ने कहा, ‘‘चूंकि हम अच्छी तरह तैयार नहीं हैं, ऐसे में अग्रिम मोर्चे के सिपाही (चिकित्सक) जीएस मास्क और अन्य सुरक्षा उपकरणों की भयंकर कमी के बीच बुरी स्थिति में काम कर रहे हैं। फलस्वरूप, कुछ चिकित्सकों ने इस घातक वायरस के सामने घुटने टेक दिये। ’’ एक बयान के अनुसार अस्पतालों की पहचान एवं सीधे वहां तक मास्क एवं अन्य जरूरी उपकरण पहुंचाने के लिए एक कार्यबल का गठन किया गया है।
रेड्डी ने कहा, ‘‘ हमारे पास इस विचित्र बीमारी के रोगियों का प्रभावी उपचार करने के लिए टीके या एंटी वायरल एजेंट्स नहीं हैं। अगले चार सप्ताह में हमारे पास इस वायरस के कारण मर रहे और बहुत सारे अमेरिकी होंगे। अब तो 20 साल के उम्र वाले भी इस वायरल रोग से मर रहे हैं। यह इस राक्षस वायरस के खिलाफ वैश्विक जंग है।’’ अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने संकट की इस घड़ी में सहयोग और अनुभव साझा करने के लिए अमेरिका में सैंकड़ों डॉक्टरों को आपस में जोड़ने में अगुवाई करने को लेकर एएपीआई को बधाई दी।
अमेरिका में इस बीमारी से अबतक 1290 लोगों की जान चली गयी है। देश में इस रोग के 85,653 मामले सामने आ चुके हैं।
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