चीन में ‘‘वैश्विक महामारी फैलाने में सक्षम” फ्लू वायरस की पहचान, अभी खतरा नहीं

Edited By PTI News Agency,Updated: 30 Jun, 2020 05:16 PM

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बीजिंग, 30 जून (भाषा) चीन में सुअरों के बीच पाई जा रही फ्लू वायरस की नयी प्रजाति शूकर उद्योग से जुड़े कर्मचारियों को तेजी से प्रभावित कर रही है और इसमें वैश्विक महामारी फैलाने वाले विषाणु जैसी सारी अनिवार्य विशेषताएं हैं। एक अध्ययन में यह बात...

बीजिंग, 30 जून (भाषा) चीन में सुअरों के बीच पाई जा रही फ्लू वायरस की नयी प्रजाति शूकर उद्योग से जुड़े कर्मचारियों को तेजी से प्रभावित कर रही है और इसमें वैश्विक महामारी फैलाने वाले विषाणु जैसी सारी अनिवार्य विशेषताएं हैं। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।

यह अध्ययन 2011 से 2018 के बीच चीन में सुअरों की निगरानी पर आधारित है और इसमें पाया गया कि इंफ्लुएंजा वायरस का यह प्रकार, जिसमें जी4 जीनोटाइप आनुवंशिक सामग्री है, 2016 से सुअरों में प्रमुखता से नजर आ रही है।

‘चीनी रोग नियंत्रण एवं बचाव केंद्र’ के वैज्ञानिकों समेत अन्य के मुताबिक ये जी4 विषाणु मानव कोशिकाओं में रिसेप्टर अणुओं (प्रोटीन अणु) से बंध जाते हैं और श्वसन तंत्र की बाहरी सतह में अपनी संख्या बढ़ाते हैं।

अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के महामारीविद् एरिक फिग्ल डिंग जो कि अध्ययन से जुड़े नहीं हैं, उन्होंने ट्वीट किया कि यह वायरस अब तक सिर्फ सुअरों में है।

उन्होंने ट्विटर पर कहा, “केवल दो मामले। और यह 2016 की उत्पत्ति वाला पुराना वायरस है। इंसान से इंसान में नहीं फैला है। सुअर उद्योग के 10 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडीज मिले। कोई डराने वाली बात के साक्ष्य नहीं मिले हैं।”
वहीं अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के बायोलॉजिस्ट कार्ल टी बर्गस्ट्रॉम ने कहा कि वायरस से लगातार अत्यधिक संपर्क में रहने के बाद भी इसके मनुष्य से मनुष्य में फैलने के कोई साक्ष्य नहीं हैं।

हालांकि उन्होंने कहा कि उभरती स्थिति पर नजर रखना महत्त्वपूर्ण है।

बर्गस्ट्रॉम ने कहा, “जांच आवश्यक होगी खासकर अगर सुअर उद्योग से जुड़े कामगारों में बीमारी समूह में उभरने लगे।”
‘पीएनएएस’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन ने दिखाया कि नया पहचाना गया यह विषाणु एयरोसोल ट्रांसमिशन के माध्यम से फेरेट (नेवले की जाति का एक जानवर) को संक्रमित कर सकता है जिससे उनमें छींक, खांसी, सांस लेने में तकलीफ जैसे गंभीर लक्षण नजर आने के साथ ही उनके शरीर का 7.3 से 9.8 प्रतिशत द्रवमान के बराबर वजन कम हो सकता है।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि इंसान को अन्य ‘मानव इंफ्लुएंजा टीकों’ से मिलने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता जी4 वायरस से नहीं बचा सकती। यह इस बात का संकेत है कि वायरस के प्रति शरीर में पहले से कोई प्रतिरक्षा मौजूद नहीं है।

शूकर उद्योग में काम करने वाले कर्मचारियों के खून के नमूनों का आकलन दिखाता है कि करीब 10.4 प्रतिशत लोग जी4 फ्लू वायरस से संक्रमित थे।

अध्ययन के मुताबिक 2016 और 2019 में सामने आए जी4 वायरस संक्रमण के दो मरीजों के पड़ोसी सूअर पालते थे। इससे संकेत मिलता है कि यह वायरस सुअरों से मनुष्य में फैल सकता है और इससे गंभीर संक्रमण और यहां तक कि मौत भी हो सकती है।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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