Edited By PTI News Agency,Updated: 07 Oct, 2020 04:11 PM
चीन ने पड़ोसियों के प्रति अचानक ‘घोर आक्रमक’ रुख अपनाया : अमेरिकी अधिकारी
(ललित के झा)
चीन ने पड़ोसियों के प्रति अचानक ‘घोर आक्रमक’ रुख अपनाया : अमेरिकी अधिकारी
(ललित के झा)
वाशिंगटन,सात अक्टूबर (भाषा) अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि चीन ने भारत सहित अपने पड़ोसियों के प्रति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अचानक ‘‘घोर आक्रमक’’ रुख अपनाया है।
प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने तोक्यो में क्वाड मंत्रियों की बैठक के समापन के बाद यह बात कही। इस बैठक में नेताओं ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र की शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए समन्वय का प्रण लिया।
‘क्वाड’ चार देशों- अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान का समूह है।
क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों ने मंगलवार को तोक्यो में मुलाकात की। कोरोना वायरस संक्रमण के बाद यह पहली आमने सामने की बातचीत थी। यह बैठक हिंद-प्रशांत, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के आक्रामक सैन्य रवैए की पृष्ठभूमि में हुई।
जापान के विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मॉरिस पायने ने मुक्त, खुली और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय प्रणाली को मजबूत करने की बात दोहराई।
पोम्पिओ के साथ मौजूद एक वरिष्ठ अधिकारी ने संवाददताओं से कहा कि चीन की आक्रमकता चिंता का विषय है।
अधिकारी ने कहा,‘‘यह चिंता की बात है। मेरा मतलब है, यदि आप चीन और भारत के बीच हिमालय में संघर्ष को देखते हैं, तो अतीत में ऐसा हुआ है और स्थिति को नियंत्रण से बाहर जाने से रोकने के लिए ऐसे तरीके अपनाए गए जो न कहीं लिखे हैं और जो न कहीं कहे गए हैं। और फिर आप उसे देखिए जो यहां हाल ही में हुआ। यहां लोगों ने एक दूसरे से मारपीट कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया।’’
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में लगभग पांच महीने से सीमा गतिरोध चल रहा है।
चीन के कारण दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में विवाद है। बीजिंग ने पिछले कुछ वर्षों में मानव निर्मित द्वीपों का तेजी से सैन्यीकरण किया है।
दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर को खनिज, तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध माना जाता है। ये वैश्विक व्यापार के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। हालांकि अमेरिका ने विवादित जल क्षेत्र पर अपना कोई दावा नहीं किया है, लेकिन उसने युद्धपोत और लड़ाकू विमान तैनात करके चीन के बढ़ते क्षेत्रीय दावों को चुनौती दी है। अमेरिका के इस कदम का मकसद रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता और विमानों से गश्त को बनाए रखना है।
अमेरिका के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि चीन की आक्रमकता इसका एक बड़ा कारण है।
उन्होंने कहा कि वे 2021 के लक्ष्य , 2035 के लक्ष्य और अपने 2049 के लक्ष्यों की बात करते हैं। वे तेजी से बढ़ रहे हैं।
वहीं एक अन्य अधिकारी ने कहा कि समस्या को ठीक तरीके से सामने लाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा,‘‘ यह अमेरिका-चीन के बीच विवाद के बारे में नहीं हैं। यह स्वतंत्र विश्व बनाम चीनी अधिनायकवाद है। मंत्री (पोम्पिओ) इस पर अकसर बात करते हैं और अपनी चर्चा भी उसी के अनुरूप रखते हैं और बैठक में इस पर काफी सहमति भी व्यक्त की गई।’’
क्वाड मंत्रियों की बैठक करीब तीन घंटे चली, जिसमें नेताओं ने आपसी हितों और चिंताओं के मुद्दों पर चर्चा की।
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