Edited By PTI News Agency,Updated: 07 Oct, 2020 11:00 PM
वाशिगंटन, सात अक्टूबर (भाषा) भारतीय-अमेरिकी दंपत्ति ने भारत में रहकर फोन से धोखाधड़ी करने वालों की तरफ से पांच लाख डॉलर से अधिक राशि का शोधन करने का जुर्म कबूल किया है। अमेरिकी अटॉर्नी बी जे बी पैक ने बताया कि कॉल करने वाला शख्स खुद को संघीय...
वाशिगंटन, सात अक्टूबर (भाषा) भारतीय-अमेरिकी दंपत्ति ने भारत में रहकर फोन से धोखाधड़ी करने वालों की तरफ से पांच लाख डॉलर से अधिक राशि का शोधन करने का जुर्म कबूल किया है। अमेरिकी अटॉर्नी बी जे बी पैक ने बताया कि कॉल करने वाला शख्स खुद को संघीय एजेंट या तकनीकी सहायक बताता था और पीड़ितों को धन भेजने का निर्देश देता था। इसे दक्षिण कैरोलिना में रहने वाले मेहुल कुमार मनुभाई (36) और चैताली दवे (36) फर्जी पहचान के जरिए हासिल करते थे। पैक ने कहा ‘‘ दवे और पटेल ने भारत स्थित आपराधिक कॉल सेंटरों की, हमारे समुदाय के सदस्यों को शिकार बनाने और उन्हें ठगने में मदद की थी।’’पटेल ने एक सितंबर को अमेरिकी जिला न्यायाधीश एमी टोटेनबर्ग के समक्ष अपना जुर्म कबूला किया, जबकि दवे ने छह अक्टूबर को अपना अपराध स्वीकार किया। न्याय विभाग ने बताया कि भारत स्थित कॉलर, संघीय एजेंट बन कर अमेरिकी नागरिकों को फोन करते थे और पीड़ित उनकी सामाजिक सुरक्षा संख्या पर यकीन कर लिया करते थे। वे लोगों को डराते थे कि अगर उन्होंने धन नहीं दिया तो उनकी गिरफ्तारी हो सकती है या वे अपनी संपत्ति गवां सकते हैं। इसके बाद वह पीड़ित को गिरोह के अन्य सदस्यों को धन भेजने का निर्देश देते थे जिनमें पटेल और दवे भी शामिल हैं। विभाग ने बताया कि तकनीकी सहायता के नाम पर भी कॉलर ठगी करते थे। वे कंप्यूटर के लिए की गई तकनीकी मदद की एवज में लोगों को कथित रूप से धन भेजने के लिए कहते थे, जबकि कॉलर ने कुछ नहीं किया होता था।
उसने बताया कि कई बार तो कॉलर पीड़ित का कंप्यूटर रिमोट एक्सेस (यानी दूसरे के कंप्यूटर या लैपटॉप को अपने कंप्यूटर या लेपटॉप पर खोल लेना) के जरिए उसके बैंक खातों तक पहुंच जाते थे। मई 2019 से जनवरी 2020 के बीच पटेल और दवे ने दर्जनों पीड़ितों के पांच लाख डॉलर का शोधन किया।
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