Edited By PTI News Agency,Updated: 27 Feb, 2021 02:37 PM
वाशिंगटन, 27 फरवरी (भाषा) अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई एक खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सऊदी अरब के वलीअहद (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान ने इस्तांबुल में पत्रकार जमाल खशोगी को पकड़ने या मारने के एक अभियान को मंजूरी दी थी। खशोगी...
वाशिंगटन, 27 फरवरी (भाषा) अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई एक खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सऊदी अरब के वलीअहद (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान ने इस्तांबुल में पत्रकार जमाल खशोगी को पकड़ने या मारने के एक अभियान को मंजूरी दी थी। खशोगी की दो अक्टूबर 2018 को तुर्की के इस्तांबुल शहर में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी। वह अमेरिका के वैध स्थायी निवासी थे और "वाशिंगटन पोस्ट" अखबार में लेख लिखते थे और वलीअहद की नीतिओं के कटु आलोचक थे। राष्ट्रीय खुफिया निदेशालय कार्यालय (ओडीएनआई) ने रिपोर्ट में कहा कि मोहम्मद बिन सलमान ने शायद ऐसा माहौल बनाया जिसमें उनके सहयोगियों में इस बात का डर पैदा हुआ कि सौंपा गया काम पूरा नहीं करने पर उन्हें बर्खास्त किया जा सकता है या उनकी गिरफ्तारी की जा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस बात की संभावना नहीं है कि उनके सहयोगी वहलीअहद के आदेश पर सवाल कर सकते थे या फिर संवेदनशील अभियान बिना उनकी मंजूरी के चला सकते थे। यह रिपोर्ट 11 फरवरी की है और रिपोर्ट के एक हिस्से को गोपनीयता के दायरे से बाहर किया गया है जिसे शुक्रवार को कांग्रेस (अमेरिकी संसद) में दाखिल किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, " हमारा आकलन है कि सऊदी अरब के वलीअहद मोहम्मद बिन सलमान ने तुर्की के इस्तांबुल में सऊदी पत्रकार खशोगी को पकड़ने या मारने के अभियान को मंजूरी दी थी। "ओडीएनआई ने कहा कि उसका आकलन इस पर आधारित है कि सऊदी अरब में मोहम्मद बिन सलमान के बिना फैसले नहीं होते हैं और अभियान में उनके प्रमुख सलाहकार और उनके सुरक्षा दस्ते के एक सदस्य की सीधी संलिप्तता है। रिपोर्ट कहती है, "2017 से वलीअहद का देश की सुरक्षा एवं खुफिया संगठनों पर पूर्ण नियंत्रण है। इस बात की संभावना नहीं है कि सऊदी अधिकारी इस प्रकृति का अभियान बिना वलीअहद की इजाजत के चलाएं।"कांग्रेस को रिपोर्ट मिलने के कुछ देर बाद, अमेरिका विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने "खशोगी प्रतिबंध" की घोषणा की, जिसमें सऊदी अरब के 76 ऐसे व्यक्तियों पर वीजा प्रतिबंध लगाए गए हैं जिनके बारे में माना जाता है कि वे विदेशों में असहमति के स्वरों को डराने-धमकाने में शामिल हैं। यह सिर्फ खशोगी हत्याकांड तक सीमित नहीं है।
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