पंजाब के मुख्यमंत्री के पुन:चुनाव को लेकर पाक सरकार में शामिल दलों के नेताओं ने अदालत की आलोचना की

Edited By PTI News Agency,Updated: 26 Jul, 2022 09:34 AM

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इस्लामाबाद, 25 जुलाई (भाषा) पाकिस्तान में सत्तारूढ़ गठबंधन के शीर्ष नेताओं ने पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री के पुन:चुनाव को लेकर उच्चतम न्यायालय में सोमवार को अविश्वास व्यक्त किया और कहा कि ‘मैच फिक्सिंग’ की तरह ही ‘बेंच फिक्सिंग’ भी जुर्म है...

इस्लामाबाद, 25 जुलाई (भाषा) पाकिस्तान में सत्तारूढ़ गठबंधन के शीर्ष नेताओं ने पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री के पुन:चुनाव को लेकर उच्चतम न्यायालय में सोमवार को अविश्वास व्यक्त किया और कहा कि ‘मैच फिक्सिंग’ की तरह ही ‘बेंच फिक्सिंग’ भी जुर्म है और शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि वह एक तरफा फैसले लेने के लिए ‘विशिष्ट पीएमएल-एन विरोधी पीठ’ गठित करने से बचे।

पाकिस्तान मुस्लिम लगी-नवाज़ (पीएमएल-एन) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज़, विदेश मंत्री एवं पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता बिलावल भुट्टो-ज़रदारी, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (एफ) के नेता मौलाना फज़ल-उर-रहमान और गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
यह प्रेस वार्ता पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर हमज़ा शहबाज़ के पुन:चुनाव पर शीर्ष अदालत में अहम सुनवाई से पहले की गई है।

पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल-एन सुप्रीमों नवाज़ शरीफ की बेटी मरियम ने कहा, “ संस्थाओं का अपमान अंदर से होता है, बाहर से नहीं। एक गलत फैसला पूरे मामले को खत्म कर सकता है। जहां सही फैसले लिए जाते हैं वहां आलोचना की जरूरत नहीं होती है।”
पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष ने कहा कि शीर्ष अदालत में कई सम्मानित न्यायाधीश नियुक्त किए गए थे और सवाल किया कि वे पीएमएल-एन के मामलों की सुनवाई में शामिल क्यों नहीं हैं?
उन्होंने कहा, “ एक या दो न्यायाधीश जो हमेशा से पीएमएल-एन विरोधी और सरकार विरोधी रहे हैं, उन्हें बार-बार पीठ में शामिल किया जाता है।”
मरियम ने कहा कि ‘बेंच फिक्सिंग’ भी ‘मैच फिक्सिंग’ जैसा ही अपराध है।

पीएमएल-एन नेता ने उच्चतम न्यायालय से इस मुद्दे का स्वत: संज्ञान लेने को कहा।

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बेटे हमज़ा ने शनिवार को पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इससे एक दिन पहले उन्होंने विधानसभा में मुख्यमंत्री पद के लिए हुए चुनाव में नाटकीय घटनाक्रम के बीच मात्र तीन मतों के अंतर से जीत हासिल की थी, जब सदन के उपाध्यक्ष दोस्त मोहम्मद मजारी ने उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार चौधरी परवेज इलाही के 10 महत्वपूर्ण मतों को खारिज कर दिया था।

पंजाब की 368 सदस्यीय विधानसभा में हमज़ा की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ को 179 वोट मिले, जबकि इलाही की पार्टी को 176 मत हासिल हुए।

इलाही की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क्यू (पीएमएल-क्यू) के 10 मतों की गिनती नहीं की गई। इसकी वजह यह बताई गई कि उन्होंने अपनी पार्टी के प्रमुख चौधरी शुजात हुसैन के आदेशों को उल्लंघन किया था।

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) द्वारा समर्थित इलाही ने बाद में उच्चतम न्यायालय का रुख किया, जिसने सोमवार को सुनवाई शुरू होने से पहले तक हमजा को पंजाब प्रांत के ‘ट्रस्टी’ के तौर पर मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की अनुमति दे दी।

मरियम ने कहा कि जब से हमज़ा मुख्यमंत्री बने हैं, पीटीआई नेता बार-बार शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं।

मुख्यमंत्री के 22 जुलाई के चुनाव के खिलाफ पीटीआई की याचिका का संदर्भ देते हुए मरियम ने कहा कि शीर्ष अदालत के दरवाज़े देर रात में खोल दिए दिए और रजिस्ट्रार ने पार्टी को उसकी अपील का मसौदा तैयार करने के लिए ‘पर्याप्त वक्त’ दिया।

उन्होंने कहा, “यह हमारी न्याय व्यवस्था में नहीं होता है।”
याचिका पर सुनवाई तीन न्यायाधीशों की पीठ कर रही है जिसमें प्रधान न्यायाधीश उमर अता बांदियाल, न्यायमूर्ति एजाज़-उल-अहसान और न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर शामिल हैं। वे उन पांच न्यायाधीशों में हैं जिन्होंने अप्रैल में नेशनल असेम्बली के तत्कालीन उपाध्यक्ष कासिम सूरी के उस फैसले को खारिज किया था जिसमें तब के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को रद्द किया गया था।
पीपीपी के प्रमुख ज़रदारी ने भी दोहराया कि गठबंधन सरकार की एक ही मांग है कि पंजाब के मुख्यमंत्री के चुनाव के मामले की सुनवाई के लिए पूर्ण पीठ गठित की जाए।

मामले की सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित करने के संदर्भ में उन्होंने कहा, “ अगर तीन लोग इस मुल्क की किस्मत का फैसला करें तो ऐसा नहीं हो सकता है। यह तीन लोग तय नहीं कर सकते है कि मुल्क लोकतांत्रिक, चुनी हुई व्यवस्था से चलेगा या चयनित व्यवस्था से चलेगा।”
बिलावल ने कहा कि वे चाहते हैं कि देश लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चले।

उन्होंने कहा, “हम देख सकते हैं कि कुछ लोग, जो इस देश को "एक-इकाई" प्रणाली बनाना चाहते थे, यह पचा नहीं पा रहे हैं कि पाकिस्तान लोकतांत्रिक मानदंडों के करीब जा रहा है और जनता अपने फैसले खुद ले रही है।”
जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फज़ल (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फज़ल उर रहमान ने मरियम की बात का समर्थन करते हुए कहा कि न्यायपालिका पर उंगलियां उठाई जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार न्यायपालिका को मजबूत करना चाहती है। उन्होंने कहा कि जब देश की संस्थाओं की मर्जी से सरकार नहीं बनी तो धांधली के जरिए नई व्यवस्था थोपी गई।

उन्होंने कहा कि सरकार को जनता ने जो जनादेश दिया है और उसे काम नहीं करने दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा, "इस देश को उस जगह न ले जाएं जहां लोग संस्थानों के खिलाफ बगावत कर दें।"
रहमान ने कहा कि सरकार को मौजूदा पीठ से किसी इंसाफ की उम्मीद नहीं है और पूर्ण पीठ गठित करने की मांग दोहराई।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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