सेना के अराजनीतिक बने रहने का फैसला उसे 'राजनीति की अनिश्चितता' से बचाएगा : जनरल बाजवा

Edited By PTI News Agency,Updated: 28 Nov, 2022 07:47 PM

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इस्लामाबाद, 28 नवंबर (भाषा) अपनी सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा है कि सैन्य प्रतिष्ठान को “अराजनीतिक” रखने के उनके फैसले से तख्तापलट की आशंका वाले देश में सेना “राजनीति की अनिश्चितताओं” से...

इस्लामाबाद, 28 नवंबर (भाषा) अपनी सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा है कि सैन्य प्रतिष्ठान को “अराजनीतिक” रखने के उनके फैसले से तख्तापलट की आशंका वाले देश में सेना “राजनीति की अनिश्चितताओं” से बची रहेगी।

जनरल बाजवा तीन साल के सेवा विस्तार के बाद 61 साल की उम्र में 29 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे।

पाकिस्तान ने लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर को नया सेना प्रमुख नियुक्त किया है, जो मौजूदा जनरल बाजवा की जगह लेंगे।

जनरल बाजवा ने इस बात पर बल दिया कि पाकिस्तानी सेना ने अपनी भूमिका को “गैर राजनीतिक बनाने का निर्णय लेकर, उसे संवैधानिक तौर पर दिए गए काम तक सीमित कर दिया है।” संयुक्त अरब अमीरात के अखबार ‘गल्फ न्यूज’ को दिए साक्षात्कार में जनरल बाजवा ने कहा, “यह निर्णय, हालांकि समाज के एक वर्ग द्वारा नकारात्मक रूप से देखा जा रहा है और व्यक्तिगत आलोचना का कारण बना, (मगर यह) लोकतांत्रिक संस्कृति को पुनर्जीवित करने और मजबूत करने में मदद करेगा, राज्य के तंत्रों को प्रभावी ढंग से प्रदर्शन करने और काम को अंजाम तक पहुंचाने में सहायता करेगा। इन सबसे ऊपर, यह निर्णय लंबी अवधि में सेना की प्रतिष्ठा बढ़ाने में मदद करेगा।” पाकिस्तान के सेना प्रमुख के रूप में अपने अंतिम सार्वजनिक संबोधन में जनरल बाजवा ने बुधवार को कहा कि पिछले 70 वर्षों में सैन्य प्रतिष्ठान का राजनीति में “असंवैधानिक” हस्तक्षेप था, जिसके कारण आम जनता और राजनीतिक नेताओं ने इसकी आलोचना की।

उन्होंने साक्षात्कार में कहा, “राष्ट्रीय निर्णय लेने में पाकिस्तानी सेना की हमेशा अहम भूमिका रही है। देश की राजनीति में ऐतिहासिक भूमिका के कारण, सेना की जनता और राजनीतिक नेताओं ने समान रूप से आलोचना की।” उनका बयान तब आया है जब सैन्य प्रतिष्ठान ने हाल के महीनों में दोहराया है कि उसने गैर राजनीतिक बने रहने का फैसला किया है।

सेना के शीर्ष अधिकारी का बयान उन आरोपों के बीच आया कि यह (सेना) देश की राजनीति में हस्तक्षेप करती है और अक्सर एक राजनीतिक दल या दूसरे का पक्ष लेती है।

जनरल बाजवा ने कहा कि जब सेना को राजनीतिक मामलों में शामिल देखा गया तो सशस्त्र बलों के प्रति जनता के समर्थन और आत्मीयता में कमी आई।

उन्होंने कहा, “इसलिए, मैंने पाकिस्तान में राजनीति की अनिश्चितताओं से सेना को बचाने के लिए इसे विवेकपूर्ण समझा।” साक्षात्कार में, जनरल बाजवा ने माना कि पाकिस्तान में आतंकवाद कम हुआ है और कहा, "हम चरमपंथ के खतरे और बचे हुए आतंकवाद को दूर करने के लिए सार्थक कोशिश करना जारी रखे हुए हैं।” उन्होंने समाज में राजनीतिक असहिष्णुता के खिलाफ चेताया और इसे चिंताजनक बताया।

बाजवा ने कहा, “ हम ऐसे समाज के लिए कोशिश करते रहेंगे जो सहिष्णु हो, तर्कवादी हो और राजनीतिक विश्वास, आस्था, जातीयता या नस्ल के आधार पर भेदभाव नहीं करता हो।” मौजूदा सेना प्रमुख ने पाकिस्तान के आर्थिक हालात को चिंता का कारण बताते हुए कहा कि इस वजह से स्वास्थ्य, शिक्षा, खाद्यान्न तक पहुंच, साफ पानी और जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करने जैसे मानव सुरक्षा के अन्य मुद्दों को प्रभावित कर रहा है।

उन्होंने कहा कि चीन और अमेरिका के बीच वैश्विक शक्ति की होड़ में पाकिस्तान ने खुद को बहुत नाज़ुक स्थिति में पाया है।

बाजवा ने कहा, “पाकिस्तान बढ़ते प्रतिस्पर्धी रणनीतिक माहौल में खुद को सावधानी से चलाने की कोशिश कर रहा है और सुनिश्चित किया है कि वह भावी शीत युद्ध का हिस्सा न बने।” बाजवा ने कहा कि अतीत में महाशक्तियों की होड़ में इसकी भूमिका के कारण क्षेत्र को ‘रणनीतिक शतरंज की बिसात’ माना जाता रहा है। हाल में यह अफगानिस्तान में दो दशक लंबी चली आतंकवाद के खिलाफ जंग में देखा गया है।

उन्होंने कहा, “ पाकिस्तान की पश्चिमी सरहद पर अफगानिस्तान में संघर्ष की वजह से अस्थिरता देखी गई है। (अफगानिस्तान से) अमेरिकी फौज की वापसी के बाद देश में थोड़ी स्थिरता देखी गई है और हिंसा में कमी आई है। हालांकि स्थिति अब भी नाजुक है।

बाजवा को 2016 में सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था और उनका तीन साल का कार्यकाल 2019 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा बढ़ाया गया था। इमरान हालांकि बाद में सेना के बड़े आलोचक बन गए थे।



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