पाकिस्तान में जनता महंगाई से बेहाल, मंत्री ने दे दी कम खाने की सलाह

Edited By Tanuja,Updated: 11 Oct, 2021 04:06 PM

reduce intake of sugar and bread ali amin

कंगाली के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान में महंगाई से बुरा हाल है। हालात इतने खऱाब हो चुके हैं कि लोगों के जिंदगी की जरूरी जरूरतें पूरी करनी भी

इस्लामाबादः कंगाली के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान में महंगाई से बुरा हाल है।  हालात इतने खऱाब हो चुके हैं कि लोगों के जिंदगी की जरूरी जरूरतें पूरी करनी भी दूभर हो गई हैं। ऐसे में इमरान खान सरकार के मंत्री लोगों को ऊल-जलूल सलाह देकर उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं।  पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान मामलों के संघीय मंत्री अली अमीन गंडापुर ने बढ़ती महंगाई की वजह से पाकिस्तान के लोगों को 'चाय में कम चीनी डालने और रोटी कम खाने' की सलाह दे डाली है।

 

 पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने महंगाई पर होने वाली बहस पर टिप्पणी करते हुए कहा, "अगर मैं चाय में चीनी के सौ दाने डालता हूँ और नौ दाने कम डाल दूं, तो क्या वह कम मीठी हो जाएगी।" उन्होंने कहा, "क्या हम अपने देश के लिए, अपनी आत्मनिर्भरता के लिए इतनी सी क़ुर्बानी भी नहीं दे सकते? अगर मैं रोटी के सौ निवाले खाता हूँ तो उसमे नौ निवाले कम नहीं कर सकता हूँ?'' उनके इस बयान से सोशल मीडिया पर बवाल मच गया है और यूजर्स उनके भाषण के वीडियो को शेयर कर उनकी आलोचना कर रहे हैं।


हालांकि यह पहली बार नहीं है पाक के मंत्रियों या जनप्रतिनिधियों ने जनता को इस तरह की सलाह दी हो। इससे पहले  सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के ही नेशनल असेंबली के सदस्य रियाज फतयाना ने भी जनता को अली अमीन गंडापुर जैसी ही सलाह दी थी। इतिहास की बात करें तो पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) समेत कई पार्टियों के नेता इस तरह की बातें करते रहे हैं।  पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी पाकिस्तान की जनता से 'कम रोटी खाने' की बात कही थी। साल 1998 में जब पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षण किया था तो तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने स्वीकार किया था कि पाकिस्तान को अमेरिका और बाक़ी दुनिया की तरफ़ से कठिन आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।

 

टीवी और रेडियो पर जनता को संबोधित करते हुए तब उन्होंने इस बारे में सचेत करते हुए कहा था, कि "अपनी कमर कस लें और सिर्फ एक वक्त खाना खाने के लिए तैयार हो जाएं और इस परेशानी में मैं भी आपके साथ रहूंगा।" सस्टेनेबल डिवेलपमेंट पॉलिसी इंस्टिट्यूट (SDPI ) इस्लामाबाद के अर्थशास्त्री डॉक्टर साजिद अमीन का मानना है कि इस तरह की सलाह ग़रीबों का मज़ाक बनाने के समान है। उनके अनुसार, बचत करने की सलाह या अभियान न तो कभी भी महंगाई का समाधान रहे हैं और न ही कभी होंगे। "सरकार का काम आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़ाना या उसकी स्थिति में सुधार करना है नकि इस तरह की बेतुकी सलाह देना। "

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