ताइवान के खिलाफ चीन की बढ़ती सख्ती ने उड़ाई यूरोप की नींद

Edited By Tanuja,Updated: 10 Aug, 2022 04:53 PM

rising tensions on taiwan blew europe s sleep

यूरोपियन यूनियन (ईयू) के देश कई तरह के आयात के लिए ताइवान पर निर्भर हैं।  ताइवान के खिलाफ चीन की बढ़ती सख्ती ने यूरोप की टेंशन...

इंटरनेशनल डेस्कः यूरोपियन यूनियन (ईयू) के देश कई तरह के आयात के लिए ताइवान पर निर्भर हैं।  ताइवान के खिलाफ चीन की बढ़ती सख्ती ने यूरोप की टेंशन बढ़ा दी है। इन आयात में आज बेहद अहम कंप्यूटर चिप भी शामिल हैं। अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के विरोध में चीन ने ताइवान पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। इसका खराब असर ताइवान के कंप्यूटर चिप समेत दूसरे उद्योगों पर पड़ सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक फिलहाल चीन ने ताइवान की पूरी आर्थिक नाकेबंदी कर रखी है। साथ ही उसने अपने यहां से ताइवान के लिए प्राकृतिक रेत के निर्यात पर रोक लगा दी है।

 

इस रेत का इस्तेमाल कंप्यूटर चिप के निर्माण में होता है। पश्चिमी देशों की कंपनियां ताइवान के चिप उद्योग पर लगभग पूरी तरह से निर्भर हैं। इसलिए अगर वहां चिप उत्पादन पर फर्क पड़ा, तो उसका सीधा असर पश्चिमी कारोबार पर होगा। यूरोप में अंदेशा यह भी है कि आगे चल कर अगर चीन ने ताइवान की पूर्ण आर्थिक नाकेबंदी करने जैसे सख्त कदम उठाए, तो उससे पश्चिमी उद्योग जगत मुसीबत में पड़ जाएगा। पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक ईयू में ताइवान से होने वाले आयात का हिस्सा लगभग 60 फीसदी तक है।

 

ताइवानी कंपनी- ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को. (टीएसएमसी) दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक चिप निर्माता कंपनी है। यूरोप के चिप बाजार पर सिर्फ इस कंपनी का हिस्सा 50 फीसदी तक बताया जाता है। खबरों के मुताबिक उसके ग्राहकों में एपल और क्वैलकॉम जैसी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां शामिल हैं। पेलोसी अपनी ताइवान यात्रा के दौरान टीएसएमसी के चेयरमैन मार्क लिउ से भी मिली थीं। समझा जाता है कि इस वजह से इस कंपनी चीन खास नाराज है। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि यूरोप ने गुजरे वर्षों में इस बात की चिंता नहीं कि वह ताइवान पर अत्यधिक निर्भर होता जा रहा है। अब जबकि चीन के हमले से सप्लाई लाइन टूटने की आशंका पैदा हुई है, तब ईयू में इस तरफ सबका ध्यान गया है।

 

विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे कई मसले हैं, जिनकी वजह से फिलहाल चिप कारोबार में आत्मनिर्भर होने की स्थिति में नहीं है। उनमें सबसे पहला कारण उसके पास विशेषज्ञता का अभाव है। फिर ताइवान जैसी कार्य संस्कृति को अपनाना भी यूरोप के लिए कठिन है। ताइवान में रोजगार का सिस्टम बेहद लचीला है। कंपनियां वहां मनचाहे ढंग से किसी को नौकरी पर रखती या हटाती हैं। यूरोपीय देशों के नियम ऐसा करने की इजाजत नहीं देते हैं।

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