कोरोना उपचार में मलेरिया की दवा के इस्तेमाल पर 120 रिसर्चर ने दी चौंकाने वाली रिपोर्ट

Edited By Tanuja,Updated: 30 May, 2020 02:34 PM

safety fears over hyped drug hydroxychloroquine spark global confusion

दुनिया भर के 120 रिसर्चर और मेडिकल प्रोफेशनल्स ने कोरोना संक्रमितों के इलाज में मलेरिया रोधक दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल को लेकर ...

सिडनीः दुनिया भर के 120 रिसर्चर और मेडिकल प्रोफेशनल्स ने कोरोना संक्रमितों के इलाज में मलेरिया रोधक दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल को लेकर हैरान करने वाली रिपोर्ट दी है। इन वैज्ञानिकों ने लैंसेंट मेडिकल जर्नल को ओपन लेटर लिखकर इस दवा को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ग्लोबल स्टडी में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के कोरोना मरीजों पर इस्तेमाल के चौंकाने वाला परिणाम आने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल पर रोक लगा दी है।

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एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले हफ्ते ऑस्ट्रेलिया में इस रिसर्च को लेकर एक रिपोर्ट छपी है जो हेल्थ डिपार्टमेंट के डाटा से बिल्कुल अलग है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के जिन मरीजों पर मलेरिया की दवा का इस्तेमाल किया गया, उनकी मृत्यु दर ज्यादा रही। इसके साथ ही मरीजों ने हार्ट को लेकर ज्यादा समस्याएं दर्ज करवाईं। इस स्टडी में करीब 15 हजार मरीजों को शामिल किया गया था। इन मरीजों पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा और इसके साथ कुछ एंटीबायोटिक दवाएं दी गई थीं। इन मरीजों की तुलना उन 81 हजार मरीजों से की गई, जिन्हें ये दवा नहीं दी गई थी। लैंसेंट जर्नल को लिखे लेटर में रिसर्चर ने स्टडी को लेकर 10 सवाल उठाए हैं। अभी तक इस बात के कोई पुख्ता प्रमाण सामने नहीं आए हैं, जिससे ये पता चले कि कोई दवा कोरोना वायरस के इलाज में कारगर साबित हुई है।

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इनमें लंबे वक्त से मलेरिया के मरीजों पर इस्तेमाल होने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा भी शामिल है । किसी भी दवा के ट्रायल से पहले के पहले मरीजों की सेफ्टी और उसके खतरे को परखा जाता है । लेकि कोरोना वायरस के इलाज में इस दवा के इस्तेमाल को लेकर सेफ्टी और खतरे की कोई जानकारी नहीं है। टॉक्सिक साइड इफेक्ट और हॉर्ट से संबंधित समस्याएं पैदा होने कारण दुनिया के कई देशों की सरकारों ने कोरोना के मरीजों पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है।

 

PunjabKesariरिपोर्ट में यह भी बताया गया कि लोगों के बिना डाक्टर की सलाह के दवा खाने की वजह से मुश्किलें सामने आई हैं। रिसर्चर ने कहा है कि लैंसेंट की स्टडी को लेकर क्लीनिकल ट्रायल नहीं रोका जाना चाहिए बल्कि एंटीबायोटिक, एंटीवायरल और एंटीमलेरिया दवाओं के इस्तेमाल पर रिसर्च की जानी चाहिए।

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