Edited By Tanuja,Updated: 26 Sep, 2018 04:38 PM
प्राचीनकाल में मंगल ग्रह पर ऐसे महत्वपूर्ण घटक बहुतायत में थे जिनकी मदद से सूक्ष्म जीव यहां की सतह के नीचे लाखों वर्षों तक जीवित रह सकते थे। धरती पर सतह के नीचे रहने वाले सूक्ष्म जीवों तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती है...
वॉशिंगटनः प्राचीनकाल में मंगल ग्रह पर ऐसे महत्वपूर्ण घटक बहुतायत में थे जिनकी मदद से सूक्ष्म जीव यहां की सतह के नीचे लाखों वर्षों तक जीवित रह सकते थे। धरती पर सतह के नीचे रहने वाले सूक्ष्म जीवों तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती है इसलिए वह आस-पास के वातावरण के अणुओं से अति सूक्ष्म परमाणु (इलेक्ट्रॉन) को अलग करके उनसे ऊर्जा प्राप्त करते हैं।अपघटित आणविक हाइड्रोजन काफी संख्या में इलेक्ट्रॉन देता है।
अमेरिका में ब्राउन यूनिवर्सिटी के छात्रों ने मंगल ग्रह पर जीवन को लेकर नए खुलासे किए है। यूनिवर्सिटी के स्नातक के छात्र जेसे तारनस के अनुसार प्राचीनकाल में मंगल ग्रह पर ऐसे महत्वपूर्ण घटक बहुतायत में थे जिनकी मदद से सूक्ष्म जीव यहां की सतह के नीचे लाखों वर्षों तक जीवित रह सकते थे। उन्होंने बताया कि भौतिकी और रसायन शास्त्र की मूलभूत गणना बताती है कि प्राचीनकाल में मंगल की उपसतह पर पर्याप्त अपघटित हाइड्रोजन रही होगी जिससे वैश्विक उप-सतह जीवमंडल को ऊर्जा मिलती होगी। यह शोध ‘अर्थ ऐंड प्लेनेटरी साइंस लैटर्स’ में प्रकाशित हुआ है।
शोध के मुताबिक, जल अणुओं को उसके घटक हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन में विभाजित करने वाली प्रक्रिया रेडियोलिसिस के जरिए मंगल की उप सतह पर पर्याप्त मात्रा में हाइड्रोजन पैदा हुई होगी। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि चार अरब वर्ष पहले सतह पर हाइड्रोजन की मात्रा इतनी अधिक थी जो सूक्ष्म जीवों के जीवित रहने के लिए पर्याप्त थी। उन्होंने कहा कि यहां की परिस्थितियां धरती पर उन स्थानों जैसी ही होंगी जहां पर भूमिगत जीवन है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि प्राचीन काल में मंगल पर जीवन था, लेकिन अगर था तो वहां की परिस्थितियां उसके अनुकूल थीं।