Edited By Tanuja,Updated: 24 Dec, 2020 12:01 PM
श्रीलंका में कोरोना वायरस से मरने वाले मुस्लिमों के शवों को दफनाने के बजाय दाह-संस्कार की सरकार नीति के खिलाफ लोगों का आक्रोश ...
इंटरनेशनल डेस्कः श्रीलंका में कोरोना वायरस से मरने वाले मुस्लिमों के शवों को दफनाने के बजाय दाह-संस्कार की सरकार नीति के खिलाफ लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मूक प्रदर्शन किया जिसका नेतृत्व मुख्य विपक्षी नेता सजीत प्रेमदासा ने किया । प्रदर्शन में सिविल सोसाइटी समूह भी शामिल हुए। मुस्लिम समूहों का आरोप है कि संक्रमण से मरने वाले उनके समुदाय के लोगों के शवों का जबरन दाह-संस्कार किया जा रहा, जबकि उनकी धार्मिक मान्यताएं शवदाह की इजाजत नहीं देती हैं। वहीं, अधिकारियों ने कहा कि शवों को दफन किए जाने से महामारी और फैल सकती है।
मुस्लिम सिविल सोसाइटी समूहों का आरोप है कि सरकार ने शवों को दफन करने के मुद्दे पर सुझाव देने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी लेकिन नौ महीने बाद भी इसने कोई सुझाव नहीं सौंपे हैं। कई मानवधिकार संगठनों ने अधिसूचना में बदलाव करने और मुस्लिम समुदाय की धार्मिक आस्था का सम्मान करने की अपील की है। गौरतलब बात यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मरने वाले लोगों के शवों को दफनाने की अनुमति के बावजूद श्रीलंका सरकार ने नियम नहीं बदला है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे से शवों को दफन करने की इजाजत देने की अपील की है क्योंकि कोविड-19 शवों की अंत्येष्टि पर डब्ल्यूएचओ के दिशनिर्देशों में मुस्लिमों की धार्मिक परंपरा भी शामिल है। श्रीलंका में संक्रमण के अब तक 38,059 मामले सामने आए हैं और 183 लोगों की महामारी से मौत हुई है।बता दें कि श्रीलंका की आबादी में नौ प्रतिशत हिस्सेदारी मुस्लिम समुदाय की है। उल्लेखनीय है कि श्रीलंका में जब कोविड-19 महामारी शुरू हुई तो स्वास्थ्य मंत्रालय ने 31 मार्च को दिशनिर्देशों में संशोधन किया और आदेश दिया था कि केवल कोविड-19 के मरीजों या संदिग्ध संक्रमितों की मौत होने पर दाह संस्कार होगा।