Edited By Tanuja,Updated: 21 Aug, 2018 10:46 AM
लोगों में भ्रम है कि कि टॉयलेट सीट सबसे गंदी होती है और उसमें कीटाणुओं की भरमार होती है, लेकिन जानकर हैरान होगी हर समय हाथ में रहने वाला स्मार्ट फोन टॉयलेट सीट से भी ज्यादा गंदा होता है...
लंदनः लोगों में भ्रम है कि कि टॉयलेट सीट सबसे गंदी होती है और उसमें कीटाणुओं की भरमार होती है, लेकिन जानकर हैरान होगी हर समय हाथ में रहने वाला स्मार्ट फोन टॉयलेट सीट से भी ज्यादा गंदा होता है। इंग्लैंड में हुई एक रिसर्च के मुताबिक स्मार्टफोन स्क्रीन पर टॉयलेट सीट से तीन गुना ज्यादा कीटाणु पाए जाते हैं। मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इंश्योरेंस करने वाली कंपनी इंश्योरेंसटूगो ने एक स्टडी की है, उसके मुताबिक 35 फीसदी से ज्यादा लोगों ने कभी भी अपने स्मार्टफोन की स्क्रीन अच्छे से साफ नहीं की है।
इतना ही इस स्टडी में एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इसके मुताबिक बीस में से केवल एक स्मार्टफोन यूजर 6 महीने से कम में अपने स्मार्टफोन की स्क्रीन को वाइप्स या किसी दूसरे केमिकल से साफ करता है। स्टडी के लिए इंश्योरेंस कंपनी ने तीन अलग-अलग कंपनियों के स्मार्टफोन को चुना था। इसमें एप्पल का आईफोन, सैमसंग गैलेक्सी 8 और गूगल पिक्सल शामिल है। इन स्मार्टफोन की स्क्रीन के ऊपर बैक्टीरिया, फफूंद और मोल्ड की जांच की गई। जिसमें ये जानकारी सामने आई कि तीनों स्मार्टफोन की स्क्रीन पर ये कीटाणु पाए गए।
स्टडी के दौरान टॉयलेट सीट और स्मार्टफोन पर मौजूद कीटाणुओं से जुड़े जो आकंड़े सामने आए हैं वो हैरान करने वाले हैं। जहां इन तीनों कंपनियों के स्मार्टफोन पर कीटाणुओं का औसत स्कोर 84 से ऊपर था। वहीं टॉयलेट सीट पर औसत स्कोर सिर्फ 24 था। ऐसे में ये अंदाजा लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं है कि इंसान की सेहत के लिए स्मार्टफोन कितने खतरनाक हैं। बता दें कि इससे पहले भी 2013 में एक ब्रिटिश टीम ने 30 टैबलेट, 30 मोबाइल फोन और ऑफिस की टॉयलेट सीट का परीक्षण किया था जिसकी रिपोर्ट के अनुसार टैबलेट में स्टैफाइलोकोकस बैक्टीरिया के 600 यूनिट निकले, मोबाइल फोन में 140 यूनिट और टॉयलेट सीट में 20 यूनिट से भी कम यूनिट निकले। बता दें कि इस बैक्टीरिया से त्वचा संक्रमित हो सकती है।