Edited By Tanuja,Updated: 21 Nov, 2019 04:09 PM
श्रीलंका में गोटबाया राजपक्षे के राष्ट्रपति बनते ही उच्च न्यायालय ने गुरुवार को उनको भ्रष्टाचार के सभी आरोपों से मुक्त कर दिया...
कोलंबोः श्रीलंका में गोटबाया राजपक्षे के राष्ट्रपति बनते ही उच्च न्यायालय ने गुरुवार को उनको भ्रष्टाचार के सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। इसके साथ उच्च न्यायालय ने राजपक्षे पर लगाया गया विदेश यात्रा प्रतिबंध हटा दिया और अदालत के रजिस्ट्रार से राष्ट्रपति का जब्त पासपोर्ट लौटाने को कहा। गोटबाया 29 नवम्बर को अपनी पहली विदेश यात्रा भारत की करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें भारत आने का आमंत्रण दिया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार डिप्टी सॉलीसिटर जनरल दिलीप पीरिस ने अटॉर्नी-जनरल की ओर से पेश होते हुए अदालत को बताया कि संविधान के प्रावधान के अनुसार राष्ट्रपति के खिलाफ कोई भी दीवानी या फौजदारी मामला न तो दायर किया जा सकता है और न ही चलाया जा सकता है और इसलिए अदालत से प्रतिवादी को सभी आरोपों से मुक्त करने का अनुरोध किया।
खबर के अनुसार, अदालत ने इसके बाद राष्ट्रपति राजपक्षे को डी. ए. राजपक्षे स्मारक और संग्रहालय के निर्माण में 3.39 करोड़ रुपए के सरकारी धन के कथित गबन के मामले में सभी आरोपों से मुक्त करने का फैसला किया। न्यायमूर्ति संपथ अबेयकून, न्यायमूर्ति संपथ विजयरत्ने और न्यायमूर्ति चंपा जानकी राजारत्ने ने अभियोजन पक्ष से कहा कि मामले में शेष छह प्रतिवादियों के संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में नौ जनवरी या उससे पहले अदालत को बताया जाए।
गौरतलब है कि विशेष उच्च न्यायालय ने पिछले साल सितम्बर में भ्रष्टाचार के एक मामले में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई गोटबाया और छह अन्य लोगों पर यात्रा प्रतिबंध लगा दिया था। हाल ही में सम्पन्न चुनाव में राजपक्षे ने सजीत प्रेमदास (52) को 13 लाख से अधिक मतों से पराजित किया था। देश के पूर्व रक्षा सचिव 1992 में अमेरिका जाने से पहले तक श्रीलंकाई सेना में कर्नल थे और उत्तर में लिट्टे के खिलाफ युद्ध के मैदान में थे। 2006 में लिट्टे द्वारा किये गए एक जानलेवा हमले में वह बाल-बाल बचे थे।