दुनिया भर के गधों के पीछे पड़ा है ड्रैगन, खाल से उम्र बढ़ाने की दवा तैयार करते हैं चीनी

Edited By SS Thakur,Updated: 07 Feb, 2023 08:09 PM

the china is behind the donkeys around the world

चीन में इजियाओ बाजार का आकार 2013 में लगभग 3.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2020 में लगभग 7.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। इजियाओ की मांग के कारण चीन और दुनिया भर में गधों की कमी हो गई है। अफ्रीका के देश विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं।

जालंधर, इंटरनैशनल डैस्क: आपको जानकर हैरत होगी की (ड्रैगन) चीन दुनिया भर के गधों के पीछे हाथ धोकर पड़ा है। दरअसल वजह यह है कि चीनी गधों की खाल का इस्तेमाल उम्र लंबी करने की इजियाओ नामक दवा बनाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। जिसके चलते चीन में इजियाओ बाजार का आकार 2013 में लगभग 3.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2020 में लगभग 7.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। इजियाओ की मांग के कारण चीन और दुनिया भर में गधों की कमी हो गई है। अफ्रीका के देश विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं। अफ्रीका में गधों की खाल का जहां निर्यात बढ़ा है वहीं अब खाल की तस्करी भी अफ्रीका के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।

क्या है दवा का वैज्ञानिक मकसद
चीन में गधों की खाल से बनने वाली दवा इजियाओ मानव शरीर में कोलेजन को बढ़ाने में मदद करता है। कोलेजन हमारे शरीर में एक ठोस अघुलनशील और रेशेदार प्रोटीन है। शरीर में जितना प्रोटीन होता है, यह उसका एक-तिहाई हिस्सा होता है। अधिकांश कोलेजन के अणु एक दूसरे के साथ मिलकर लंबे और पतले रेशे बनाते हैं, जिन्हे फाइब्रिल  कहा जाता है। यह फाइब्रिल्स एक साथ बंधे होते हैं जिससे यह एक दूसरे को मजबूती प्रदान करते हैं। और इन्ही से त्वचा को ताकत और लोच मिलती है। चीन में माना जाता है कि गधे की खाल से बनने वाली दवा कोलेजन का शरीर में बरकरार रहती है और आदमी ज्यादा उम्र होने पर भी जवां लगता है।

अफ्रीका में घट रही है गधों की संख्या
चीन में गधों की खाल की मांग यह हालिया वृद्धि कई कारकों से प्रेरित है, जिसमें बढ़ती आय, टेलीविजन श्रृंखला के माध्यम से दवा की लोकप्रियता शामिल है। इसके अलावा, इजियाओ कभी-कभी डॉक्टरों द्वारा निर्धारित किया जाता है और लागत को स्वास्थ्य बीमा द्वारा कवर किया जा सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका की गधों की आबादी का एक अध्ययन बताता है कि यह 1996 में 210,000 से घटकर 2019 में लगभग 146,000 हो गई। इसका श्रेय गधों की खाल के निर्यात को दिया गया। विशोषज्ञों का मामना हे कि गधों के व्यापार का अवैध और कानूनी पैमाना दक्षिणी अफ्रीका के देशों के लिए बड़ी चुनौती है। यदि सिलसिला जारी रहा तो गधों की प्रजाति धीरे-धीरे समाप्त हो सकती है।

 

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