श्रीलंका में राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी मुख्य तमिल पार्टी

Edited By shukdev,Updated: 03 Nov, 2018 11:47 PM

the main tamil party will support the motion of no confidence against rajapaksa

श्रीलंका की मुख्य तमिल पार्टी ‘तमिल नेशनल अलायंस’ ने शनिवार को कहा कि वह नवनियुक्त प्रधानमंत्री मङ्क्षहदा राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी। तमिल नेशनल अलायंस का यह बयान ऐसे समय आया है जब राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना पर इसको लेकर...

कोलंबो : श्रीलंका की मुख्य तमिल पार्टी ‘तमिल नेशनल अलायंस’ ने शनिवार को कहा कि वह नवनियुक्त प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी। तमिल नेशनल अलायंस का यह बयान ऐसे समय आया है जब राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना पर इसको लेकर दबाव बढ़ रहा है कि वह राजनीतिक संकट समाप्त करने के लिए निलंबित संसद में एक मतविभाजन कराएं। राजपक्षे का दावा है कि बहुमत साबित करने के लिए उनके पास पर्याप्त संख्याबल है तथा प्रधानमंत्री पद से हटाए गए रानिल विक्रमसिंघे के कम से कम छह समर्थक उनके पाले में आ गए हैं।

राष्ट्रपति ने संसद को निलंबित कर दिया था जिसे राजपक्षे के लिए सदस्यों को अपने पाले में करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति सिरीसेना ने 26 अक्टूबर को पद से हटा दिया था। उनकी यूनाइटेड नेशनल पार्टी का दावा है कि विक्रमसिंघे को हटाना ‘असंवैधानिक और अवैध’ है। राष्ट्रपति के इस कदम से देश में एक संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है। विक्रमसिंघे का दावा है कि वह अभी भी प्रधानमंत्री हैं। तमिल नेशनल अलायंस ने एक बयान में कहा कि राजपक्षे की नियुक्ति संविधान के 19वें संशोधन का उल्लंघन है। बयान में कहा गया है कि अलायंस ने ‘राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में मतदान करने का निर्णय किया है।’

पूर्वी प्रांत से टीएनए के एक सांसद एस वेलिनथेरियन ने राजपक्षे का समर्थन किया है। उन्हें उप मंत्री बनाया गया है। टीएनए के 16 सांसदों में से कम से कम चार के बारे में माना जाता है कि वे राजपक्षे के समर्थन में आएंगे। विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी ने कहा कि उन्होंने राजपक्षे के खिलाफ एक अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सौंपा है। सिरीसेना ने शक्तिपरीक्षण की उसकी मांग को नजरंदाज कर दिया था। उन्होंने संसद को 16 नवम्बर तक निलंबित कर दिया था। संसद के स्पीकर कारू जयासूर्या बहुसंख्यक सांसदों के संसद को फिर से आहूत करने की मांग के दबाव में आ गए थे।

यद्यपि सिरीसेना के संसद निलंबित करने के आदेश के चलते उनके पास संसद आहूत करने के लिए राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचा था। कुछ सांसदों ने दावा किया कि पाला बदलने के लिए उन्हें भारी राशि की पेशकश की गई। विक्रमसिंघ की पार्टी के सांसद पी आर बंदारा ने कहा कि उन्हें राजपक्षे का समर्थन करने के लिए 28 लाख डालर की पेशकश की गई। उन्होंने कहा कि उनके पास ‘एक बहुत शक्तिशाली व्यक्ति के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत’ की रिकाॢडंग है। 

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