चीन के नियमों से ही तय होगा अगला दलाई लामा

Edited By Pardeep,Updated: 10 Aug, 2019 09:37 PM

the next dalai lama will be decided by the rules of china

चीन ने कहा है कि पंद्रहवें दलाई लामा के चयन को लेकर वर्ष 2007 में उसकी सरकार द्वारा तय नियमों एवं तरीकों से ही किया जाएगा और अगर कोई व्यक्ति या समूह निहित स्वार्थों के लिए राजनीति के लिए कोई दलाई लामा चुनेगा तो उसे तिब्बत में कतई मान्यता नहीं दी...

ल्हासाः चीन ने कहा है कि पंद्रहवें दलाई लामा के चयन को लेकर वर्ष 2007 में उसकी सरकार द्वारा तय नियमों एवं तरीकों से ही किया जाएगा और अगर कोई व्यक्ति या समूह निहित स्वार्थों के लिए राजनीति के लिए कोई दलाई लामा चुनेगा तो उसे तिब्बत में कतई मान्यता नहीं दी जाएगी। 

चीन के अधीन तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र के धार्मिक मामलों के प्रमुख लाबा सिरेन ने भारत से आए पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल से बातचीत में कहा कि चीन में धार्मिक आस्थाओं एवं विश्वास को लेकर सबको आज़ादी है लेकिन 2007 में चीन की केन्द्र सरकार ने नीति बनाकर धार्मिक मामलों के प्रबंधन को अपने हाथ में लिया है और दलाई लामा के पुनरवतार का मामला इसी के तहत आता है।

सिरेन ने कहा कि दलाई लामा के पुनरवतार की पहचान के लिए 1640 में गीलू पंथ के संस्थापक ने दलाई लामा और पंचेन लामा के पुनरवतार की प्रक्रिया को परिभाषित किया था। 18वीं सदी में चिंग वंश के शासकों ने 29 अनुच्छेदों वाली राजाज्ञा के माध्यम से दलाई लामा जिन्हें जीवित बुद्ध की उपमा दी गई है, के निर्धारण की उसी प्रक्रिया को अमल में लाया था। इसमें राजा की सहमति आवश्यक अंग होती थी। इसी प्रकार से आज के समय में दलाई लामा एवं पंचेन लामा के पुनरवतार के निर्धारण के लिए मान्य प्रक्रिया और केन्द्र सरकार की अनुमति आवश्यक होगी। 

उन्होंने कहा कि तिब्बत के बौद्ध मत में प्रक्रिया का बहुत निष्ठा एवं कड़ाई से पालन किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति या समूह अपनी राजनीति के लिए या अपने निहित स्वार्थों के लिए केन्द्र सरकार की मान्यता के बिना अगले दलाई लामा का चयन करता है तो उसे तिब्बत के लोग स्वीकार नहीं करेंगे। भारत एवं नेपाल में रहने वाले तिब्बतियों को वापस लौटने की अनुमति दिए जाने के बारे में एक सवाल के जवाब में सिरेन ने कहा कि इस बारे में चीन की नीति एकदम साफ है।

यदि वे अपनी जातीय एकता को बनाए रखते हैं और देश की अखंडता की सुरक्षा का संकल्प लेते हैं तो वे आ सकते हैं। तिब्बत में धार्मिक मामलों में सरकार की भूमिका के बारे में उन्होंने बताया कि सभी बौद्ध भिक्षुओं एवं लामाओं को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की गई है। उन्हें स्वास्थ्य बीमा, न्यूनतम आजीविका और वृद्धावस्था पेंशन की गारंटी प्रदान की गई है।

 

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