समलैंगिक सेक्स को वैध बताने के फैसले का विश्व मीडिया ने दिल खोलकर किया स्वागत

Edited By Isha,Updated: 07 Sep, 2018 11:22 AM

the world media s heartfelt decision to make gay sex legal

भारत में समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखने वाले औपनिवेशिक कानून को खारिज करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का पूरी दुनिया में दिल खोलकर स्वागत हो रहा है।

इंटरनैशनल डेस्कः भारत में समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखने वाले औपनिवेशिक कानून को खारिज करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का पूरी दुनिया में दिल खोलकर स्वागत हो रहा है। विभिन्न देशों से आ रही प्रतिक्रियाओं में कहा गया है कि इससे न केवल सबसे बड़े लोकतंत्र बल्कि विश्व भर में समलैंङ्क्षगकों के अधिकारों को बढ़ावा मिलेगा। 
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उच्चतम न्यायालय ने गुरूवार को भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत समलैंगिक सेक्स को अपराध बताने वाले प्रावधान को अपराध की श्रेणी से बाहर करते हुए कहा कि यह मनामानी और त्रुटि है जिसका बचाव नहीं किया जा सकता।  न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर और क्वीर (एलजीबीटीक्यू) समुदाय के लोगों को भी देश के अन्य नागरिकों की भांति ही संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं। वाशिंगटन पोस्ट का कहना है कि भारत की शीर्ष अदालत का फैसला दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में समलैंगिक अधिकारों की जीत है।
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अखबार ने रेखांकित किया कि भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत सेक्स संबंधों को अप्राकृतिक बताकर उसे अपराध घोषित करने वाली धारा को कार्यकर्ताओं के दशकों के संघर्ष के बाद खत्म कर दिया गया। अमेरिका के इस प्रतिष्ठित अखबार के अनुसार, भारत के शीर्ष न्यायालय के इस फैसले का दुनिया भर में समलैंगिक अधिकारों को बढ़ावा मिलेगा। उसने लिखा है, यह फैसला भारत में तेजी से बदलते सामाजिक परिवेश को दिखाता है, क्योंकि पांच साल पहले ही शीर्ष अदालत ने इस कानून को बहाल रखा था। तभी से कार्यकर्ता लोगों को समलैंगिक अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने में जुट गये थे वहीं न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस फैसले को भारत में समलैंगिक अधिकारों के लिए मील का पत्थर बताया।
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अखबार का कहना है कि इस फैसले ने वर्षों से चल रही कानूनी लड़ाई को खत्म कर दिया है। ह्यूमन राइ्टस वाच की दक्षिण एशिया की निदेशक मीनाक्षी गांगुली का कहना है कि इस फैसले के बाद अन्य देशों को भी प्ररणा मिलेगी कि वे समलैंगिकों और ट्रांसजेंडर समुदाय को लेकर अभी तक मौजूद औपनिवेशिक कानून को खत्म करें।  सीएनएन और बीबीसी ने भी फैसले का स्वागत किया है।      
 

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