Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Mar, 2018 02:31 PM
नरसंहार रोकथाम पर संयुक्त राष्ट्र के सलाहकारका कहना है कि उन्हें प्राप्त सूचनाएं संकेत देती हैं कि म्यांमा सरकार की मंशा रखाइन राज्य में रोङ्क्षहग्या समुदाय का सफाया करने और संभवत: उन्हें पूरे तरह से खत्म करने की थी
संयुक्त राष्ट्रः नरसंहार रोकथाम पर संयुक्त राष्ट्र के सलाहकारका कहना है कि उन्हें प्राप्त सूचनाएं संकेत देती हैं कि म्यांमा सरकार की मंशा रखाइन राज्य में रोङ्क्षहग्या समुदाय का सफाया करने और संभवत: उन्हें पूरे तरह से खत्म करने की थी। अगर यह साबित हो जाता है तो यह नरसंहार के अपराध का मामला बनता है। अडामा डीइंग ने रोहिंग्या समुदाय की स्थिति का जायजा लेने के लिए 7-17 मार्च तक बांग्लादेश की यात्रा की थी। उन्होंने वहां जो सुना और देखा उसे मानवीय त्रासदी बताया जिसमें म्यांमा सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका के संकेत मिले हैं।
डीइंग ने कल एक बयान में कहा कि रोहिंग्या आबादी के खिलाफ अगस्त2017 से चलाया गया‘ स्कॉर्चड अर्थ’ अभियान प्रत्याशित था और इसे रोका जा सकता था। उन्होंने कहा कि उनकी अत्याचार करने के खतरों की कई चेतावनियों के बावजूद विश्व समुदाय ने आंखे मूंदी रखीं। इसकी कीमत म्यांमा में रोहिंग्या समुदाय के लोगों को अपनी जान, गरिमा और घरों को गवां कर चुकानी पड़ी। बौद्ध बहुलता वाला म्यांमा रोहिंग्या समुदाय को जातिय समुदाय के तौर पर मान्यता नहीं देता है और उन्हें बांग्लादेश से आए बंगाली प्रवासी बताता है जो उनके देश में अवैध तरीके से रहते हैं।
म्यांमा ने उन्हें नागरिकता भी नहीं दी है जिससे वे राज्यविहीन हो गए हैं। म्यांमा के सुरक्षा बलों ने रोहिंग्या समुदायों के गांवों के खिलाफ स्कॉर्चड अभियान चलाया था, जिसे संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार समूहों ने जातिय सफाया करार दिया है। रोहिंग्या समुदाय के करीब 7,00,000 लोग बांग्लादेश भाग गए, लेकिन कई हजार अब भी उत्तरी रखाइन राज्य में है। डीइंग ने कहा कि रोहिंग्या समुदाय के सदस्यों ने जो भुगता है वो किसी भी इंसान को नहीं भुगतना चाहिए। हम यह स्पष्ट कर दें कि म्यांमा में अंतराष्ट्रीय अपराध किए गए हैं।