ये हैं पाकिस्तान की ‘दंगल गर्ल्स’, लोगों के तानों के बावजूद बनाया अलग मुकाम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Mar, 2018 12:59 PM

these are pakistani dangle girls

दिसम्बर में सिंगापुर में आयोजित ओशिनिया पैसिफिक पावरलिफ्टिंग चैम्पियनशिप्स 57 किलोग्राम वर्ग की स्क्वैट, बैंच प्रैस, डैड लिफ्ट तथा एग्रीगेट वेट श्रेणियों में चार स्वर्ण पदक जीतने वाली सानिहा गफूर कहती है, ‘‘वहां मुकाबला बहुत कठिन था। दूसरी लड़कियां...

इंटरनेशनल डेस्कः दिसम्बर में सिंगापुर में आयोजित ओशिनिया पैसिफिक पावरलिफ्टिंग चैम्पियनशिप्स 57 किलोग्राम वर्ग की स्क्वैट, बैंच प्रैस, डैड लिफ्ट तथा एग्रीगेट वेट श्रेणियों में चार स्वर्ण पदक जीतने वाली सानिहा गफूर कहती है, ‘‘वहां मुकाबला बहुत कठिन था। दूसरी लड़कियां बहुत अच्छी लग रही थीं। हमें खुद से ज्यादा अपेक्षाएं नहीं थीं। मेरा मुकाबला सिंगापुर की एक लड़की से था। मैंने पहले ही प्रयास में सफलतापूर्वक वजन उठा कर उसे हरा दिया। वह रो पड़ी क्योंकि मैंने उसका स्वर्ण पदक छीन लिया था।’’ गत वर्ष सानिहा ने लाहौर में आयोजित तीसरी नैशनल वूमन्स वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में 9 राष्ट्रीय कीर्तिमान भी स्थापित किए।

सानिहा वेटलिफ्टिंग चैम्पियन्स के परिवार से हैं। उनके पिता अब्दुल गफूर ने 1970 के कॉमनवैल्थ खेलों में रजत पदक जीता था। उनके भाई इश्तियाक तथा अब्दुल्ला भी वेटलिफ्टर हैं जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं। उसके चाचा मंजूर ने 1976 के मांट्रियल ओलिम्पिक्स में हिस्सा लिया था। गत वर्ष सिंगापुर में केवल सानिहा ने ही नहीं, बहनों ट्विंकल तथा साइबिल सोहेल ने भी 47 तथा 72 किलोग्राम वर्गों में 4 पदक अपने नाम किए। उन दोनों की दो अन्य बहनें 23 वर्षीय मरियम (57 किलो वर्ग) तथा 14 वर्षीय वेरोनिका (44 किलो वर्ग) भी पावरलिफ्टिंग की ट्रेनिंग ले रही हैं।
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ट्विंकल बताती है, ‘‘हमारे घर में सभी खेलों से जुड़े हैं। हमारा एक भाई नैशनल साइक्लिंग चैम्पियन है। हमारे माता-पिता ने हमेशा हमारा हौसला बढ़ाया। हमारी सफलता का श्रेय हमारे पिता को जाता है। उनके लिए भी यह आसान नहीं था। जब हम बहनों ने पावरलिफ्टिंग शुरू की तो हमारे दादा ने इसका विरोध किया कि क्यों परिवार की लड़कियां वजन उठाने का खेल खेल रही हैं। लोगों के तानों के बावजूद पिता जी ने हमारा खेलना रुकने नहीं दिया। लोगों की धारणा तब बदली जब हम पदक जीत कर देश लौटीं और अब उन्हें हम पर गर्व है।’’ उनकी कहानी काफी कुछ आमिर खान की फिल्म ‘दंगल’ से मिलती है। ट्विंकल तो हंसते हुए कहती है, ‘‘मैं तो लोगों को यह कहती हूं कि ‘दंगल’ बनी ही हम पर है।’’
गत वर्ष मेलबोर्न में इंटरनैशनल पावरलिफ्टिंग टूर्नामैंट में रजत पदक जीतने वाली मरियम नसीम पेशावर में जन्मी और बड़ी हुई है परंतु इन दिनों वह ऑस्ट्रेलिया में रह रही है।

2011 में मिली छूट
आधिकारिक स्तर पर पाकिस्तान में अभी वूमन वेटलिफ्टिंग तथा पावरलिफ्टिंग कमोबेश एक नया खेल है। 2013 में ही सरकार ने वूमन वेट तथा पावरलिफ्टिंग डिवीजन की स्थापना की थी। वहां इस खेल की इतनी देर से शुरूआत किए जाने की वजह थी कि पहले अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में महिलाओं को इस्लामिक मान्य पहनावे में हिस्सा लेने की स्वीकृति नहीं थी। इंटरनैशनल वेटलिफ्टिंग फैडरेशन ने 2011 में महिला खिलाडिय़ों की ड्रैस संबंधी नियमों में बदलाव करते हुए उन्हें ‘वन पीस फुल बॉडी टाइटफिटिंग यूनिटार्ड’ पहनने की इजाजत दी। यह बदलाव अमेरिका में अटलांटा की पाकिस्तानी-अमेरिकन वेटलिफ्टर कुलसूम अब्दुल्ला को 2010 में हिजाब पहनने की वजह से अमेरिकन ओपन टूर्नामैंट के लिए क्वालीफाई करने से रोक दिया गया था। जजों को लगा था कि हिजाब की वजह से उसे अनुचित लाभ मिल सकता है क्योंकि वे इस बात की पुष्टि नहीं कर सकेंगे कि वजन उठाने पर उसकी बाजुएं पूरी तरह सीधी हुई हैं या नहीं।
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2015 में पाक महिला पावरलिफ्टिंग टीम बनी
इसके बाद 2011 में कुलसूम ने फ्रांस की राजधानी पैरिस में आयोजित वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप्स में पाकिस्तान की ओर से हिस्सा लिया था। दोहरी नागरिकता की वजह से वह पाकिस्तान में न रहते हुए भी उसकी ओर से अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकी परंतु अक्तूबर 2015 में जाकर पाकिस्तान की पहली महिला पावरलिफ्टिंग टीम ने किसी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। यह ओमान के मस्कट में आयोजित एशियन पावरलिफ्टिंग बैंच प्रैस चैम्पियनशिप थी जहां 19 वर्षीय ट्विंकल सोहेल अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण पदक जीतने वाली प्रथम पाक महिला पावरलिफ्टर बनी। वहां सोनिया अजमत ने 63 किलोग्राम तथा शाजिया भट्ट ने 84 किलोग्राम वर्ग में भी स्वर्ण पदक अपने नाम किए।  उनकी सफलता देख कर हर कोई हैरान था कि पाक महिलाएं पावरलिफ्टर बन ही नहीं सकतीं, पदक भी जीत सकती हैं।

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