Edited By ,Updated: 04 Sep, 2016 12:51 PM
चीन के हांगझोऊ में होने वाले सम्मेलन का उद्देश्य वैसे तो वैश्विक वृद्धि के लिए रूपरेखा तैयार करना है लेकिन इसकी जगह दक्षिण चीन सागर...
बीजिंग: चीन के हांगझोऊ में होने वाले सम्मेलन का उद्देश्य वैसे तो वैश्विक वृद्धि के लिए रूपरेखा तैयार करना है लेकिन इसकी जगह दक्षिण चीन सागर पर पेइचिंग के दावे का मुद्दा हावी रहने की आंशका है।
हांगझोऊ एक्शन प्लान: स्थिर वैश्विक वृद्धि के लिए योजना तैयार करना, कर पारदर्शिता और वित्तीय नियमन। जी-20 की अर्थव्यवस्थाओं की 2 प्रतिशत अतिरिक्त वृद्धि के लिए ग्रीन फाइनैंशियल रिपोर्ट का प्रस्ताव।
वित्त: आस्ट्रेलिया और चीन अन्तर्राष्ट्रीय वित्त व्यवस्था में सुधार का आह्वान कर सकते हैं।
ओवर कैपेसिटी: अमरीका का कहना है कि चीन की निर्यात दरों में भारी उतार-चढ़ाव के कारण 30 लाख लोगों ने अपनी नौकरियां गंवाईं । यूरोपियन कमीशन ने यह आंकड़ा 211,000 तक पहुंचने की आशंका जताई है।
टैरिफ: चीन के निर्यात के खिलाफ जी-20 देशों की एंटी डंपिंग व्यवस्था में 47 प्रतिशत की बढ़ौतरी(2010 से 2016 के बीच) एक-तिहाई में चीन के स्टील शिपमैंट को निशाना बनाया।
चीन का विदेशी निवेश: चीनी निवेश को लेकर ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया के रवैये से पेइचिंग नाराज है। आस्ट्रेलिया ने देश के सबसे बड़े एनर्जी ग्रिड को चीनी बोलीदाताओं को बेचने पर रोक लगा दी, वहीं ब्रिटेन भी 24 बिलियन डालर वाले उस न्यूक्लियर प्रोजैक्ट में देरी कर रहा है जिसमें चीन ने निवेश किया है।
अन्य मुद्दे: दक्षिण कोरिया की अमरीका समर्थित एंटी मिसाइल सिस्टम तैनात करने की योजना ।
जापान: पेइचिंग का दावा है कि वाशिंगटन के इशारे पर टोक्यो दक्षिण व पूर्वी चीन सागर विवाद में टांग अड़ा रहा है।
नाइन-डैश लाइन: पेइचिंग इस बात से नाराज है कि अन्तर्राष्ट्रीय अदालत ने दक्षिण चीन सागर पर उसके दावे को ठुकरा दिया है। फिलीपींस ने अमरीका के समर्थन से यह मुकद्दमा किया था।