कभी पैदा ही नहीं हुए इन तस्वीरों वाले लोग, होश उड़ा देगा सच

Edited By Tanuja,Updated: 24 Feb, 2019 02:02 PM

these pictures of people who are never born

सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे लोगों की तस्वीरें वायरल हो रहीं हैं जो कभी पैदा ही नहीं हुए यानि इन लोगों का वास्तव में कोई अस्तित्व ही नहीं है। जब इन तस्वीरों की सच्चाई जानने के लिए जांच की गई तो होश उड़ा देने वाला सच सामने आया...

सिडनीः सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे लोगों की तस्वीरें वायरल हो रहीं हैं जो कभी पैदा ही नहीं हुए यानि इन लोगों का वास्तव में कोई अस्तित्व ही नहीं है। जब इन तस्वीरों की सच्चाई जानने के लिए जांच की गई तो होश उड़ा देने वाला सच सामने आया। जानकारी के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए ऐसे इंसानों की तस्वीरें बनाई जा रही हैं, जो दुनिया में कभी पैदा ही नहीं हुए। इसके लिए अन्य लोगों की तस्वीरों का इस्तेमाल किया जा रहा है और उन्हें आपस में ‘मिक्स-मैच’ यह काम हो रहा है।

नई वेबसाइट ‘दिसपर्सनडजनोटएक्जिस्ट डॉटकॉम’ इस काम को अंजाम दे रही है। यही नहीं वेबसाइट पर हर बार रिफ्रेश करने के बाद आप अपने चेहरे की अनगिनत फर्जी तस्वीरें भी देख सकते हैं। दरअसल, इस साइट को उबर के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर फिलिप वेंग ने बनाया है। इसके लिए विशेष एल्गोरिदम का प्रयोग किया जा रहा है। चिप डिजाइनर कंपनी एनविडिया ने वास्तविक लोगों के फोटो का विशाल डेटासेट तैयार किया है। एल्गोरिदम इसी पर कार्य करता है। इसके बाद नया चेहरा गढ़ने के लिए एक प्रकार का न्यूरल नेटवर्क, जेनरेटिव एडवर्सेरिअल नेटवर्क (जीएएन) का इस्तेमाल किया जाता है।

वेंग ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा कि हर बार आप जब साइट को रिफ्रेश करते हैं, तो नेटवर्क हर बार आपके चेहरे की नई तस्वीर जेनरेट करेगा। उन्होंने यह भी लिखा कि ज्यादातर लोग यह नहीं समझते कि भविष्य में तस्वीरों की सिंथेसाइजिंग में एआई कितना सही साबित होगा। हालांकि एआई फ्रेमवर्क साइट का मूल आविष्कार शोधकर्ता इयान गुडफेलो ने किया। वहीं एनवीडिया का स्टाइलगेन नाम का एल्गोरिदम बेहद लचीला साबित हुआ है। टेक्नोलॉजी के लिए यह बेहद रचनात्मक एप्लीकेशन है। इस तरह के प्रोग्राम अनगिनत वर्चुअल वर्ल्ड बना सकते हैं, डिजाइनर और इलस्ट्रेटर की मदद कर सकते हैं, लेकिन इसके अपने नुकसान भी हो सकते हैं।

मिमिक्री की थ्योरी पर भी काम कर सकता है आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए फर्जी फोटो बनाने वाला यह मॉडल इंसानों के चेहरे जेनरेट करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। यह मिमिक्री की थ्योरी पर भी काम कर सकता है। एनिमेटेड कैरेक्टर, फॉन्ट्स, ग्रैफिटी आदि समेत अन्य चीजों पर शोधकर्ता इसका प्रयोग करने में जुटे हैं। मगर स्टाइलगेन एल्गोरिदम पर सवाल भी उठ रहे हैं।
 

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