Edited By vasudha,Updated: 12 May, 2020 01:00 PM
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सदस्य देशों को स्कूल खोलने से पहले कई बातों का ध्यान रखने की सलाह दी है जिनमें स्थानीय स्तर पर कोविड-19 के संक्रमण की स्थिति और बच्चों के बीच ‘सोशल डिस्टेंसिंग'' बनाये रखने की स्कूल की क्षमता भी शामिल है। संगठन...
इंटरनेशनल डेस्क: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सदस्य देशों को स्कूल खोलने से पहले कई बातों का ध्यान रखने की सलाह दी है जिनमें स्थानीय स्तर पर कोविड-19 के संक्रमण की स्थिति और बच्चों के बीच ‘सोशल डिस्टेंसिंग' बनाये रखने की स्कूल की क्षमता भी शामिल है। संगठन ने इस संबंध में एक दिशा-निर्देश जारी किया है जिसमें बताया गया है कि स्कूल खोलने से पहले सरकारों को किन कारकों पर विचार करना चाहिये।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. तेद्रोस गेब्रियेसस ने कोविड-19 पर नियमित प्रेस वार्ता में कहा कि स्कूल खोलने या बंद करने का फैसला करते समय नीति निर्माताओं को कई कारकों का ध्यान रखना चाहिये। इस महामारी के संक्रमण और बच्चों पर इसके प्रभावों की स्पष्ट समझ जरूरी है। जहां स्कूल स्थित है वहां वायरस के संक्रमण के स्तर का ध्यान रखना होगा। साथ ही कक्षाओं के दौरान बच्चों के बीच सामाजिक दूरी बनाये रखने की स्कूल की क्षमता भी महत्वपूर्ण है।
दिशा-निर्देश में कहा गया कि यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिये कि बच्चों के स्कूल आने-जाने के लिए सुरक्षित परिवहन व्यवस्था उपलब्ध है या नहीं, स्कूल में साफ-सफाई और सामाजिक दूरी के लिए पर्याप्त संसाधन हैं या नहीं, स्कूल के छात्रों और कर्मचारियों में कितनों के उनकी उम्र तथा अन्य कारणों से संक्रमित होने के बाद गंभीर रूप से बीमार पड़ने की आशंका है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि बच्चों को दूर-दूर बिठाने के लिए कक्षा का आकार यदि बड़ा नहीं है तो अस्थायी विस्तार या बच्चों को छोटे-छोटे समूहों में बांटकर अलग-अलग समय कक्षाओं के आयोजन की संभावना पर विचार किया जाना चाहिये।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिये कि नये बदलावों के साथ कक्षाओं के आयोजन के लिए स्कूल के पास पर्याप्त संख्या में कर्मचारी हैं या नहीं। उसने स्थानीय नियमों के अनुरूप स्कूल में मास्क पहनने या चेहरा ढँककर रखने के लिए कहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वीकार किया है कि छोटे बच्चों के लिए आपस में एक मीटर की दूरी बनाये रखना ज्यादा मुश्किल होगा। इसके लिए उसने छात्रों की उम्र के अनुसार नीति तय करने का विकल्प सुझाया है। उसने ऊंची कक्षा के छात्रों के लिए परीक्षा की जरूरत पर विचार करने की सलाह दी है।