हेपेटाइटिस-सी' वायरस की खोज करने वाले तीन वैज्ञानिकों को मिला चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार

Edited By Yaspal,Updated: 05 Oct, 2020 05:01 PM

three scientists searching for hepatitis c virus got nobel prize for medicine

अमेरिकी वैज्ञानिक हार्वे जे आल्टर और चार्ल्स एम राइस तथा ब्रिटिश विज्ञानी माइकल हफटन को हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए सोमवार को चिकित्सा के क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। नोबेल पुरस्कार समिति ने सोमवार को स्टाकहोम में इसकी घोषणा...

नेशनल डेस्कः अमेरिकी वैज्ञानिक हार्वे जे आल्टर और चार्ल्स एम राइस तथा ब्रिटिश विज्ञानी माइकल हफटन को हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए सोमवार को चिकित्सा के क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। नोबेल पुरस्कार समिति ने सोमवार को स्टाकहोम में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि तीनों वैज्ञानिकों के अनुसंधान से रक्त से होने वाले हेपेटाइटिस संक्रमण के प्रमुख स्रोत की व्याख्या करने में मदद मिली जो हेपेटाइटिस ए और बी बिषाणुओं द्वारा नहीं की जा सकी थी। समिति ने कहा कि उनके अनुसंधान कार्य से रक्त की जांच और नयी दवाओं की खोज में मदद मिल सकी जिससे लाखों लोगों की जान बच सकी।

नोबेल समिति के अनुसार, ‘‘उनकी खोज का परिणाम है कि आज वायरस के लिए अत्यंत सटीक परिणाम देने वाली खून जांच उपलब्ध है और इससे दुनियाभर के अनेक हिस्सों में रक्त चढ़ाने के कारण हेपेटाइटिस संक्रमण को रोका जा सकता है और वैश्विक रूप से स्वास्थ्य संबंधी व्यापक सुधार हुआ है।'' उसने कहा, ‘‘उनकी खोज से हेपेटाइटिस सी के लिए एंटीवायरल दवा के त्वरित विकास की दिशा में भी काम हुआ है। इतिहास में पहली बार अब रोग का उपचार किया जा सकता है जिससे दुनियाभर से हेपेटाइटिस सी वायरस के उन्मूलन की उम्मीदें बढ़ी हैं।''

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकलन के अनुसार दुनियाभर में हेपेटाइिटस के सात करोड़ से अधिक मामले हैं और हर साल इससे चार लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो जाती है। यह बीमारी गंभीर है और इससे यकृत संबंधी समस्या और कैंसर तक होने की आशंका होती है। प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार में स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनोर (11,18,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक) की पुरस्कार राशि प्रदान की जाती है। पुरस्कार की शुरुआत 124 साल पहले स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल ने की थी।

इस साल चिकित्सा क्षेत्र के पुरस्कार का विशेष महत्व है जहां कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर के समाजों और अर्थव्यवस्थाओं के लिए चिकित्सा अनुसंधान की अहमियत रेखांकित हुई है। इसके अलावा हर वर्ष भौतिकी, रसायनशास्त्र, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं।

 

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