चीन ने 3 साल से अवैध हिरासत में रखा तिब्बती स्कॉलर

Edited By Tanuja,Updated: 21 Jun, 2021 05:55 PM

tibetan scholar arrested by chinese authorities in 2019 still awaiting trial

2019 में चीनी अधिकारियों द्वारा अनिर्दिष्ट आरोपों में गिरफ्तार एक तिब्बती विद्वान पर अभी भी मुकद्दमा नहीं चलाया गया है और परिवार के सदस्यों को ...

ल्हासा:  मानवाधिकारों का उल्लंघन करने को लेकर चीन पूरी दुनिया के निशाने पर है। एक ताजा रिपोर्ट में पता चला है कि चीन ने  एक तिब्बती स्कॉलर को 3 साल से अवैध हिरासत में रखा हुआ है।  रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के अनुसार 2019 में चीनी अधिकारियों द्वारा अनिर्दिष्ट यानि अज्ञात आरोपों में गिरफ्तार एक तिब्बती विद्वान पर अभी भी मुकद्दमा नहीं चलाया गया है और परिवार के सदस्यों को उसके भाग्य के बारे में अंधेरे में रखा जा रहा है।

 

रेडियो फ्री एशिया (RFA) ने  सूत्रों  के हवाले बताया कि लोबसांग लुंडुप, जो धी ल्हादेन के नाम से  जाने भी जाते हैं, को जून 2019 में पश्चिमी चीन के सिचुआन प्रांत की राजधानी चेंगदू में एक निजी सांस्कृतिक शिक्षा केंद्र में काम करने के दौरान हिरासत में लिया गया था।सूत्रों ने कहा कि, "ऐसा प्रतीत होता है कि किसी ने सांस्कृतिक केंद्र के मालिक को शिक्षण सामग्री के बारे में बताया जो वह इस्तेमाल कर रहा था, और इसलिए उसे गिरफ्तार कर लिया गया।" उन्होंने कहा, "लुंडुप एक मिलनसार व्यक्ति है और कई लोगों को जानता है और उसके दोस्तों ने अब तक  उसकी रिहाई की उम्मीद में  उसके बारे में बात करने से परहेज किया है।"

 

सूत्रों ने कहा कि लुंडुप का मुकद्दमा अभी भी लंबित है जबकि उसके बारे में कोई और जानकारी जारी नहीं की गई है और किसी को भी उससे मिलने की अनुमति नहीं दी गई है। 1980 में जन्मे लुंडुप सिचुआन के गोलोग तिब्बती स्वायत्त प्रान्त के पेमा जिले के मूल निवासी हैं।  सूत्रों ने   बताया कि वह 11 साल की उम्र में एक भिक्षु बन गया और सिचुआन के लारुंग गार तिब्बती बौद्ध अकादमी में अध्ययन किया, जहां से हजारों निवासी भिक्षुओं और ननों को बाद में चीनी अधिकारियों ने बेदखल कर दिया।लुंडुप ने तिब्बत में व्यापक रूप से यात्रा की और 2008 में तिब्बती क्षेत्रों में बीजिंग की नीतियों और शासन के खिलाफ क्षेत्र-व्यापी विरोध के बारे में किताबें लिखना और प्रकाशित करना भी शुरू किया।

 

उनके परिवार को उनके मामले पर चर्चा करने के लिए 4 दिसंबर, 2020 को चीनी अधिकारियों ने तलब किया था। हालांकि उन्हें पता चला कि उनका मुकद्दमा अभी भी लंबित है और उन्हें उनसे मिलने की अनुमति नहीं है। सूत्रों ने बताया कि तिब्बती विद्वान की एक पत्नी और बच्चा है। बता दें कि 2008 में चीन के तिब्बत और तिब्बती क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शनों के बाद तिब्बती राष्ट्रीय पहचान और संस्कृति को बढ़ावा देने वाले लेखकों, गायकों और कलाकारों को अक्सर चीनी अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिया जाता है और इनमें से कई को लंबे समय तक जेल की सजा दी गई है ।

 

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