Edited By vasudha,Updated: 11 Dec, 2020 05:09 PM
अमेरिका में काले व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉइड की हत्या के बाद नस्लीय न्याय को लेकर प्रदर्शन कर रहे 70 से अधिक लोगों के लिए वाशिंगटन स्थित अपने घर के दरवाजे खोलने के लिए भारतीय अमेरिकी राहुल दुबे को टाइम पत्रिका की ‘ हीरोज ऑफ 2020'' में शामिल किया गया है और...
इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिका में काले व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉइड की हत्या के बाद नस्लीय न्याय को लेकर प्रदर्शन कर रहे 70 से अधिक लोगों के लिए वाशिंगटन स्थित अपने घर के दरवाजे खोलने के लिए भारतीय अमेरिकी राहुल दुबे को टाइम पत्रिका की ‘ हीरोज ऑफ 2020' में शामिल किया गया है और उनके कार्य की प्रशंसा की गई है। पत्रिका के 'हीरोज ऑफ 2020' यानी 2020 के हीरो की सूची में ऑस्ट्रेलिया में आग से जूझने वाले उस स्वयंसेवी व्यक्ति का नाम है जिसने अपने देश को सुरक्षित रखने के लिए अपना सर्वस्व दांव पर लगा दिया।
जैसन चुआ का भी नाम शामिल
इसके अलावा सिंगापुर में खाद्य पदार्थ बेचने वाले जैसन चुआ और हुंग झेन लोंग का भी नाम है, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान किसी को भी भूखा रहने नहीं देना सुनिश्चित किया। वहीं शिकागो के पेस्टर रेशोर्ना फिट्जपैट्रिक और उनके पति बिशप डेरिक फिट्जपैट्रिक का भी नाम है जिन्होंने इस महामारी के काल में लोगों की मदद करने के लिए अपने चर्च का स्वरूप बदल दिया। टाइम ने दुबे की प्रशंसा करते हुए उन्हें ‘ जरूरतमंद को आश्रय देने वाला बताया' है।
फ्लॉइड की हत्या के खिलाफ हुआ था प्रदर्शन
एक जून को वाशिंगटन डीसी की सड़कों पर लोग अफ्रीकी-अमेरिकी व्यक्ति फ्लॉइड की हत्या के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और दुबे उस समय अपने घर पर थे, जो कि व्हाइट हाउस से ज्यादा दूर नहीं है। शाम सात बजे कर्फ्यू लगने के बाद उन्होंने पाया कि सड़क पर भीड़ है और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को पकड़ने के लिए अवरोधक लगा रखे हैं और सड़क पर जो बचे हैं उन पर पैपर स्प्रे कर रहे हैं। दुबे ने सोचा कि उन्हें कुछ करना चाहिए।
दुबे ने की थी 70 प्रदर्शनकारियों की मदद
स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाले दुबे ने कहा कि मैंने अपने घर का दरवाजा खोला और यह चिल्लाना शुरू कर दिया कि आप लोग यहां आ जाएं।दुबे ने बताया कि उन्होंने करीब 70 प्रदर्शनकारियों को अपने घर में जगह दी ताकि वह रात में कर्फ्यू का उल्लंघन करने से बच सकें। दुबे ने बजफीड न्यूज से कहा था कि ज्यादातर युवा प्रदर्शनकारियों के लिए अपने घर का दरवाजा खोलना उनके लिए कोई विकल्प वाली बात नहीं थी बल्कि उनकी आंखों के आगे जो हो रहा था, उसे