HIV से ठीक होने वाले पहले व्यक्ति टिमोथी रे ब्राउन की कैंसर से मौत

Edited By Pardeep,Updated: 30 Sep, 2020 09:30 PM

timothy ray brown the first person to recover from hiv dies of cancer

''द बर्लिन पेशेंट'' (बर्लिन के मरीज) के रूप में इतिहास रचने वाले और एचआईवी संक्रमण से मुक्त होने वाले पहले व्यक्ति टिमोथी रे ब्राउन की कैंसर से मौत हो गई है। वह 54 साल के थे। ब्राउन के पार्टनर टिम हॉफगेन के शोसल मीडिया पोस्ट के अनुसार ब्राउन मंगलवार...

न्यूयॉर्कः 'द बर्लिन पेशेंट' (बर्लिन के मरीज) के रूप में इतिहास रचने वाले और एचआईवी संक्रमण से मुक्त होने वाले पहले व्यक्ति टिमोथी रे ब्राउन की कैंसर से मौत हो गई है। वह 54 साल के थे। ब्राउन के पार्टनर टिम हॉफगेन के शोसल मीडिया पोस्ट के अनुसार ब्राउन मंगलवार को कैलिफोर्निया के पाम स्प्रिंग स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। 
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ब्राउन ने ल्यूकेमिया एवं एचआईवी के इलाज के दौरान 2007 से 2008 के बीच अस्थि मज्जा एवं स्टेम सेल प्रतिरोपित करवाया था। इससे उनका ल्यूकेमिया एवं एचआईवी तो ठीक हो गया, लेकिन वह दोबारा कैंसर से पीड़ित हो गए। ब्राउन का ऐतिहासिक इलाज करने वाले बर्लिन के डॉक्टर डॉ गेरो हेटर ने बताया कि ब्राउन ने विशेष परिस्थितियों में इसे संभव कर दिखाया कि एचआईवी संक्रमण से मुक्त हुआ जा सकता है ....जिसके बारे में वैज्ञानिकों ने संदेह जताया था। 
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फिलहाल, जर्मनी के एक ‘स्टेम सेल' कंपनी में ​बतौर चिकित्सा निदेशक काम करने वाले हेटर कहा कि यह बेहद खराब स्थिति है कि उसे फिर से कैंसर हो गया जिसने उनकी जान ले ली, क्योंकि वह अब भी एचआईवी संक्रमण से मुक्त लग रहे थे। अंतरराष्ट्रीय एड्स सोसाइटी ने ब्राउन की मौत के बाद एक बयान जारी कर उनके निधन पर शोक जताया और कहा कि उनका और हेटर का उपचार संबंधी अनुसंधान के लिए आभार। जिस वक्त ब्राउन का इलाज चला, उस दौरान वह बर्लिन में अनुवादक के तौर पर काम कर रहे थे। जहां पहले उनका एचआईवी का सफल इलाज हुआ और इसके बाद ल्यूकेमिया का। 

प्रतिरोपण के बारे में माना जाता है कि यह रक्त कैंसर का सबसे प्रभावी इलाज है, लेकिन हेटर ‘जीन म्यूटेशन' के माध्यम से एचआईवी का इलाज करने का प्रयास करना चाहते थे, जो एड्स वायरस के लिये प्राकृतिक अवरोध पैदा करता है। ब्राउन ने बातचीत में कहा था कि पिछले साल उन्हें दोबारा कैंसर हो गया। प्रतिरोपण के बाद ब्राउन ने कहा था,‘‘ मुझे इस बात की खुशी है कि मैंने इसे किया है। चिकित्सा के क्षेत्र में इसने वे द्वार खोले हैं जो पहले कभी नहीं थे। इससे वैज्ञानिकों को और अधिक मेहनत करने की प्रेरणा मिलेगी। '' 

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