पाक में सोशल मीडिया पर ISI की नजर, सेना-सरकार के खिलाफ हटाईं 5 हजार पोस्ट

Edited By Tanuja,Updated: 12 May, 2019 03:53 PM

to curb social media pakistan s isi spy on its own citizens

पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर शिकंजा कसता जा रहा है। खासकर सरकार और सेना के खिलाफ आवाज उठाना नामुमकिन होता जा रहा है....

इस्लामाबादः पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर शिकंजा कसता जा रहा है। खासकर सरकार और सेना के खिलाफ आवाज उठाना नामुमकिन होता जा रहा है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, यूजर्स को धमकियां दी जा रही हैं और उनके अकाउंट्स को ब्लॉक किया जा रहा है। इस पूरी मुहिम के पीछे वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई है। हाल ही में कुछ सोशल मीडिया यूजर्स को घर से उठाकर ले जाया जा चुका है। उन्हें प्रताड़ित करने के बाद छोड़ दिया गया।

6 महीने में करीब पांच हजार सोशल मीडिया यूजर्स की पोस्ट्स हटा दी गईं। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार और खासकर सेना के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्ष के समर्थकों पर सख्ती की गई है। मेन स्ट्रीम मीडिया को भी धमकाया जा रहा है। आईएसआई गुपचुप तरीके से खिलाफत की आवाजों को दबाने की कोशिश में लगी है। सेना के प्रवक्ता जनरल आसिफ गफूर पहले ही सार्वजनिक तौर पर सोशल मीडिया यूजर्स को चेतावनी दे चुके हैं। इसी साल फरवरी में एक नई यूनिट बनाई गई है। ये सोशल मीडिया पर सरकार और सेना के खिलाफ पोस्ट करने वालों पर नजर रखती है।

हालांकि, सरकार का कहना है कि वो देश में नफरत और बगावत को बढ़ावा देने वालों पर कार्रवाई करना चाहती है। खास बात ये है कि सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि देश के बाहर रहने वाले पाकिस्तानियों के पोस्ट्स पर भी पैनी नजर रखी जा रही है। इन लोगों को खुली धमकियां दी जा रही हैं और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। पाकिस्तान के मशहूर ब्लॉगर गुल बुखारी को घर से उठाया गया। उन्हें टॉर्चर किया गया। बाद में उन्होंने कहा- आईएसआई लोगों की आवाज दबाकर जीत की आखिरी साजिश रच रही है। पत्रकार रिजवान उर रहमान को फरवरी में गिरफ्तार किया गया था। आरोप लगा कि वे सरकार का अपमान कर रहे हैं। उन्हें इतना प्रताड़ित किया गया कि रिहा होने के बाद उन्होंने अब तक कोई ट्वीट तक नहीं किया।

फेसबुक और ट्विटर ने दिए आंकड़े
फेसबुक के मुताबिक, बीते 6 महीने में जितनी रोक पाकिस्तान में इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगाई गई, उतनी दूसरे किसी देश में नहीं लगी। 2,203 पोस्ट्स पर रोक लगी। इसमें से 87 के बारे में शिकायत पाकिस्तान टेलिकम्युनिकेशन अथॉरिटी ने की थी। इसी दौरान 3004 ट्विटर अकाउंट्स से कंटेंट हटाया गया। 2017 में ये संख्या सिर्फ 674 थी। एमनेस्टी इंटरनेशनल की राबिया महमूद ने कहा- इशारा बिल्कुल साफ है। पाकिस्तान की फौज के खिलाफ कोई भी बात सहन नहीं की जाएगी। ये सेंसरशिप नहीं तो और क्या है?

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