Edited By ,Updated: 17 Jan, 2016 05:11 PM
गृहयुद्ध, आतंकवाद, गरीबी ,भुखमरी और सजा के भय से घर-बार छोड़कर अनजान राह पर निकलने वाले लाखों लोगों की दुर्दशा मानव तस्करों के लिए कमाई का सुनहरा ...
लंदन:गृहयुद्ध, आतंकवाद, गरीबी ,भुखमरी और सजा के भय से घर-बार छोड़कर अनजान राह पर निकलने वाले लाखों लोगों की दुर्दशा मानव तस्करों के लिए कमाई का सुनहरा अवसर है । पिछले साल ऐसे ही शरणार्थियों की बदहाली को भुनाने वाले मानव तस्करों ने तीन से छह अरब डॉलर की कमाई की । एक तरफ पूरी दुनिया में शरणार्थियों की समस्या पर चर्चाएं हो रही हैं और इसे हल के करने के उपाय तलाशे जा रहे तो वहीं दूसरी तरफ मानव तस्कर शरणार्थियों के पलायन पर रिकार्ड मुनाफा कमा रहे हैं ।
ब्रिटिश अखबार को आज यूरोपोल के प्रमुख रॉब वेनराइट ने बताया कि मानव तस्करों के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सरकारों को इस अमानवीय उद्योग पर लगाम लगाने की सख्त जरूरत है । उनके मुताबिक यह उद्योग अब मादक पदार्थों की तस्करी के बराबर व्यापक पैमाने पर फलफूल रहा है। यूूरोपीय संघ के नए शोध के अनुसार 90 प्रतिशत शरणार्थी अवैध तरीके से यूरोप पहुंचने के लिए किसी न किसी मानव तस्कर गिरोह को पैसे देते हैं ।
यह शोध 1500 शरणार्थियों से की गई बातचीत पर आधारित है । वेनराइट ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार पिछले साल एक लाख से अधिक लोग अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर समुद्री रास्ते से यूरोप पहुंचे हैं और इससे साफ पता चलता है कि मानव तस्करों ने इससे कितना पैसा कमाया है।