Edited By Tanuja,Updated: 31 Dec, 2020 12:30 PM
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इंटरनेशनल डेस्कः नेपाल की आंतरिक राजनीति में चीन की बढ़ती दखलअंदाजी नेपालियों को पसंद नहीं आ रही है। इसी कारण चीन के प्रतिनिधिमंडल का नेपाल में जमकर विरोध हो रहा है। नेपाल के सियासी संकट को सुलझाने के नाम पर चीन द्वारा दिए जा रहे दखल को लेकर काठमांडू में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं । चीनी प्रतिनिधिमंडल के नेपाल आने पर यहां के लोगों द्वा विशाल मशाल रैली निकाल कर इसका विरोध किया गया । बड़ी संख्या में लोगों ने सड़कों पर उतरकर नारेबाजी की और बैनर-पोस्टर भी लहराए। इन पोस्टरों में चीनी हस्तक्षेप बंद करने के साथ ही ड्रैगन द्वारा कब्जाई गई जमीन वापस लौटाने की मांग की गई। बता दें कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) की सेंट्रल कमेटी के अंतरराष्ट्रीय विभाग के उप-मंत्री गूओ येझोउ नेपाल के राजनीतिक विवाद को हल करने के मिशन पर काठमांडू पहुंचे हुए हैं।
नेपाल के लेखक कनक मणि दीक्षित ने ट्विटर पर लिखा है कि जब नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही है तो चीनी प्रतिनिधिमंडल देश की राजनीति में दखल क्यों दे रहा है। उन्होंने आगे लिखा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस चीनी प्रतिनिधिमंडल को प्रचंड ने आमंत्रित किया है। उधर, चीन ने कहा है कि गो यूझू की टीम काठमांडू में दोनों देशों के राजनीतिक दलों के संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए पहुंची है। चीन ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि नेपाल के राजनीतिक दलों के बीच उपजे मतभेद बड़े हितों का ध्यान रखते हुए अपने आंतरिक मामलों को सुलझा लेंगे।
चीन ने उम्मीद जाहिर की है कि देश में राजनीतिक स्थिरता और विकास सुनिश्चित करेंगे।चीन के विशेष दूत गूओ येझोउ के काठमांडू दौरे को नेपाल के आंतरिक मामलों में दखल के रूप में देखा जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खास दूत सबसे पहले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और उनके प्रमुख प्रतिद्वंदी पुष्प कमल दहल प्रचंड से मुलाकात कर सुलह करवाने का प्रयास किया लेकिन वे असफल रहे । इससे पहले, काठमांडू में तैनात चीनी राजदूत हाओ यांकी ने राष्ट्रपति से मुलाकात की थी।