जान दांव पर लगा ट्रांसजेंडर्स  होते हैं प्रग्नेंट, दंग कर देगा तरीका

Edited By Tanuja,Updated: 19 Jun, 2018 02:07 PM

transgenders could have pregnant

ट्रांसजेंडर्स  एक ऐसा वर्ग होता है जो न तो पूरी तरह औरत है और न पूरी तरह मर्द। जिन लोगों का लिंग डॉक्टर द्वारा बताए गए दो लिंगों से अलग होता है उन्हें ट्रांसजेंडर (किन्नर)कहा जाता है...

सिडनीः ट्रांसजेंडर्स  एक ऐसा वर्ग होता है जो न तो पूरी तरह औरत है और न पूरी तरह मर्द। जिन लोगों का लिंग डॉक्टर द्वारा बताए गए दो लिंगों से अलग होता है उन्हें ट्रांसजेंडर (किन्नर)कहा जाता है। डॉक्टर्स के अनुसार हार्मोनल प्रॉब्लम की वजह से ये लोग अपना सैकेंडरी सेक्सुअल कैरेक्टर उभार नहीं पाते, जिससे औरत मद की तरह और मर्द औरत की तरह दिखने लगते हैं।  लोगों का मानना है कि ट्रांसजेंडर्स कभी बच्चे को जन्म नहीं दे सकते लेकिन जानकर हैरानी होगी कि  ट्रांसजेंडर्स  भी प्रेग्नेंट हो सकते हैं और इसके लिए वे अपनी जान दांव पर लगा देते हैं।

सुनकर भले ही यकीन न हो, लेकिन ये सच है। हालांकि उनके लिए ऐसा करना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि इसके लिए उन्हें कई बड़े मैडीकल प्रोसेस से गुजरना होता है।  दरअसल, जो ट्रांस महिला गर्भवती होना चाहती है उसके पेट में गुण प्रत्यारोपण करना होता है। इसके अलावा उसे हॉर्मोन थेरेपी देनी होती है।  ये प्रक्रिया नामुमकिन तो नहीं लेकिन खतरे से भरी जरूर है। इतना ही नहीं, जो ट्रांस महिलाएं इस प्रकार से प्रेग्नेंट होना चाहती हैं उन्हें गर्भवस्था की वजह से कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जो ट्रांस महिलाएं होती हैं उनमें पहले से गर्भाशय नहीं होता। इसका उपचार करना यानी कि चिकित्सीय प्रक्रिया की मदद से गर्भाशय लगाना खतरे से खाली नहीं होता। कभी-कभी यह जानलेवा भी साबित होता है। बहुत कम ट्रांस महिलाओं में ये प्रक्रिया सफल हो पाती है।
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 इन गलतियों की वजह से बच्चा पैदा होता है किन्नर
अब लोगों के  मन में ये सवाल भी जरूर उठता  है कि आखिर किन्नर पैदा कैसे हो जाते हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने इसके कारण का खुलासा किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार गर्भावस्था के शुरूआती तीन महीनों में क्रोमोजन नंबर या इसकी आकृतियों में परिवर्तन हो जाता है, जिसके कारण किन्नर पैदा होते हैं। अगर शुरूआती महीनों में  गर्भवती महिला को बुखार आ जाए और वह उसकी हैवी डोज ले , तो भी बच्चे के किन्नर बनने के चांसेज  होते हैं। इसके लिए पेस्टीसाइड्स वाले फल खाने से भी ये चांसेस बढ़ जाते हैं। इसलिए जरूरी है कि शुरूआती तीन महीनों में महिला को अपना ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है।
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बिना किसी डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा खुद न लें।  कोई बीमारी है तो डॉक्टर से सलाह के बाद ही प्रेग्नेंसी प्लान करें।  गर्भावस्था के पहले तीन महीने के दौरान बच्चे का लिंग निर्धारित होता है और ऐसे में इस दौरान ही किसी तरह के चोट, फिर हॉर्मोनल प्रॉब्लम की वजह से बच्चे में स्त्री या पुरूष के बजाय दोनों ही लिंगों के ऑर्गन्स और गुण आ जाते हैं। इसलिये गर्भावस्था के शुरुआत के 3 महीने बहुत ही ध्यान देने वाले होते हैं।

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