Edited By Tanuja,Updated: 07 Jul, 2020 01:23 PM
चीन की मनमानियों से जहां अंतर्राष्ट्रीय समुदाय परेशान हैं वहीं चीन में बसे अल्पसंख्यक खासकर उइगर मुसलमान शी जिनपिंग सरकार के अत्याचारों से ...
बीजिंगः चीन की मनमानियों से जहां अंतर्राष्ट्रीय समुदाय परेशान हैं वहीं चीन में बसे अल्पसंख्यक खासकर उइगर मुसलमान शी जिनपिंग सरकार के अत्याचारों से तंग है। चीन में उइगर समुदाय के खिलाफ जारी मानवाधिकार उल्लंघन और शोषण का मामला अब इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) पहुंच गया है। उइगर समुदाय से जुड़ी संस्था ईस्ट टर्किश गवर्नमेंट और ईस्ट तुर्किस्तान नेशनल अवेकनिंग मूवमेंट ने चीन के खिलाफ कोर्ट में उइगर समुदाय के नरसंहार, मानवाधिकार उल्लंघन और शोषण का मामला दर्ज कराया है।
उइगर समुदाय की निर्वासित सरकार ने कोर्ट से बीजिंग से उइगर नरसंहार और क्राइम अगेंस्ट ह्यूमैनिटी के मामलों में जवाब मांगने को कहा है। खास बात यह है कि यह पहला मामला है जब चीन से अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अंतर्गत उइगर समुदाय पर जारी अत्याचार से संबंधित पूछताछ की जा सकती है। लंदन के वकीलों के एक समूह ने चीन में उइगर समुदाय पर जारी अत्याचार और हजारों उइगरों को कानून का उल्लंघन कर कंबोडिया और तजिकिस्तान डिपोर्ट किए जाने के संबंध में शिकायत दर्ज कराई है।
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने भी इस मामले में रूचि जाहिर की है जिससे चीन की मुश्किलें बढञ सकती हैं और वह पहली बार जांच के घेरे में आ सकता है। इस केस में जिनपिंग समेत कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार से जुड़े 80 लोगों पर उइगर समुदाय के नरसंहार का आरोप लगाया गया है। बता दें कि इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में नरसंहार, युद्ध अपराध और अन्य मानवाधिकार हनन के अंतर्राष्ट्रीय मामलों की सुनवाई होती है। हालांकि इस बात पर पूरा शक है कि चीन इस कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को मानेगा और जांच के लिए तैयार होगा।
अपील दायर करने वाले वकीलों में से एक रॉनडी डिक्सन ने कहा कि नरसंहार के मामलों में कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में चीन भी आता है। चीन और कंबोडिया दोनों देश कोर्ट के सदस्य हैं और इस नज़र से ये एक निजी नहीं अंतरराष्ट्रीय मामला भी है। उन्होंने कहा कि ये बेहद अहम केस साबित हो सकता है क्योंकि चीन को मानवाधिकारों के हनन और उइगर नरसंहार के लिए अभी तक किसी भी जवाबदेही का सामना नहीं करना पड़ा है।