"दोस्त" चीन से मिलने पहली बार बीजिंग पहुंचे तालिबान, स्थिति पर भारत की पैनी नजर

Edited By Tanuja,Updated: 28 Jul, 2021 04:31 PM

uighurs border safety on agenda as china taliban meet

मुल्ला बरादर के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय तालिबान प्रतिनिधिमंडल चीन पहुंचा। अमेरिकी सेनाओं की वापसी के ऐलान के बाद ऐसा पहली ...

इंटरनेशनल डेस्कः  मुल्ला बरादर के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय तालिबान प्रतिनिधिमंडल चीन पहुंचा। अमेरिकी सेनाओं की वापसी के ऐलान के बाद ऐसा पहली बार है जब तालिबानी नेता चीन पहुंचे हैं। इस यात्रा के दौरान तालिबानी नेताओं की चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ मुलाकात हुई। राजनयिक हलकों में अफगानिस्‍तान को लेकर यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है।  भारतीय सुरक्षा सूत्रों के अनुसार अफगानिस्तान में नाजुक स्थिति के बीच तालिबान की चीन से मुलाकात कोई नया गुल खिला सकती है और वे घटनाक्रम पर नजर पैनी रख रहे हैं ।

 

दोनों देशों से संबंधित राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा मुद्दों  पर हुई बात
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दोनों पक्षों के बीच चीन के तिआनजिन शहर में मुलाकात हुई। इस  दौरान, चीनी विदेश मंत्री वांग यी, उप विदेश मंत्री और अफगानिस्तान के लिए चीनी विशेष प्रतिनिधि के साथ अलग-अलग बैठकें हुईं जिनमें दोनों देशों से संबंधित राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा मुद्दों  के अलावा उइगरों व अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति और शांति प्रक्रिया पर केंद्रित  रहीं। रिपोर्टों के अनुसार  तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने चीनी विदेश मंत्री वांग यू के साथ अन्य द्विपक्षीय मामलों के साथ-साथ  युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान में 'शांति प्रयासों' पर  बातचीत की। चीन ने अफगान लोगों के साथ अपने सहयोग को जारी रखने और विस्तार करने का वचन देते हुए कहा कि वे अफगानिस्तान के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे और समस्याओं को सुलझाने और शांति लाने में मदद करेंगे। इस्लामिक अमीरात ने अफगानिस्तान के लोगों के साथ निरंतर सहयोग के लिए चीन को धन्यवाद दिया, विशेष रूप से कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उसके निरंतर सहयोग के लिए।

 

चीन CPEC को लेकर खेला दांव
बैठक के दौरान चीनी विदेश मंत्री ने कथित तौर पर चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को 'क्षेत्रीय संपर्क का केंद्र' बनाने का भी प्रस्ताव रखा। मुल्‍ला बरादर ने चीन को आश्‍वासन दिया कि अफगान धरती का इस्‍तेमाल किसी देश की सुरक्षा के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा। तालिबान ने चीन के शिंजियांग प्रांत से सटे देश के आधे से ज्‍यादा सीमाई इलाके पर कब्‍जा कर लिया है। चीन को डर सता रहा है कि आतंकी संगठन उसके शिंजियांग प्रांत में घुसपैठ कर सकते हैं। यह मुलाकात ऐसे समय पर हो रही है जब कुछ दिन पहले ही पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ फैज हामिद ने भी चीन जाकर वांग यी से मुलाकात की थी। इस लिहाज से तालिबान नेताओं के साथ चीनी विदेश मंत्री की मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है। चीन ने तालिबान नेताओं से स्‍पष्‍ट रूप से कहा है कि वे सभी आतंकी संगठनों से अपने संबंध को पूरी तरह से खत्‍म करें। इसमें अलकायदा समर्थित उइगर मुस्लिम अतिवादी संगठन ETIM भी शामिल है जो शिंजियांग प्रांत की स्‍वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ रहा है।

 

 चीन ने तालिबान को उइगरों के मामले को लेकर दी चेतावनी
सूत्रों के अनुसार बैठक के दौरान चीन ने  तालिबान को अप्रत्यक्ष तौर पर चेतावनी दी और कहा कि वह  अपनी सीमा की पूरी सुरक्षा चाहता है । चीनी विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि  तालिबान उइगरों के मामले में  किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेंगे। सूत्रों के अनुसार चीन पाकिस्तान के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण करने में तालिबान का समर्थन करेगा। हालांकि  चीनी विशेषज्ञों का मानना ​​है कि  14 जुलाई के हमले की जिम्मेदारी किसी संगठन ने नहीं ली है लेकिन तालिबान जैसे आतंकवादी समूह इसके लिए जिम्मेदार हैं।

 

तालिबान की मदद से अफगानिस्तान को लूटना चाहता है चीन
इस बैठक के दौरान चीन की अफगानिस्तान को लूटने की मंशा भी खुल कर सामने आ गई। सूत्रों के अनुसार चीन चाहता है कि तालिबान देश की विशाल खनिज संपदा के दोहन में मदद करे क्योंकि मध्य, दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम एशिया के चौराहे पर अफगानिस्तान का स्थान बीजिंग के लिए भू-राजनीतिक रूप से आकर्षक बनाता है। चीन काबुल को बेल्ट एंड रोड की प्रमुख परियोजना, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से जोड़ना चाहता है। इस्लामिक अमीरात ने चीन को आश्वासन दिया कि किसी भी देश की सुरक्षा के खिलाफ अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
 

 

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