Edited By Tanuja,Updated: 09 Nov, 2020 02:02 PM
भारत के खिलाफ जहर उगल कर दुनिया में अपनी किरकिरी करवाने वाले पाकिस्तान ने अब फ्रांस को लेकर संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन में अपनी बेइज्जती करवाई है
इस्लामाबादः भारत के खिलाफ जहर उगल कर दुनिया में अपनी किरकिरी करवाने वाले पाकिस्तान ने अब फ्रांस को लेकर संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन में अपनी बेइज्जती करवाई है। संयुक्त राष्ट्र समर्थित संस्था यूएन वॉच और प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच अभिव्यक्ति की आजादी के मुद्दे पर जुबानी जंग तेज हो गई है। इमरान खान ने फ्रांस पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया था कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर ईशनिंदा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इसके बाद ही यूएन वॉच ने उनके इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा कि आपकी संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन (यूएनएचआरसी) में मौजूदगी बर्दाश्त के बाहर है।
बता दें कि पाकिस्तान पर लगातार मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। इसके बावजूद इस साल चीन और रूस के साथ पाकिस्तान को भी संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन का सदस्य बनाया गया है। उस समय भी यूएन वॉच ने एक बयान जारी कर पाकिस्तान के सदस्य बनने पर कड़ी आपत्ति जताई थी। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने के लिए हमेशा ईशनिंदा कानून का उपयोग किया जाता है। तानाशाह जिया-उल-हक के शासनकाल में पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लागू किया गया। पाकिस्तान पीनल कोड में सेक्शन 295-बी और 295-सी जोड़कर ईशनिंदा कानून बनाया गया। दरअसल पाकिस्तान को ईशनिंदा कानून ब्रिटिश शासन से विरासत में मिला है। 1860 में ब्रिटिश शासन ने धर्म से जुड़े अपराधों के लिए कानून बनाया था जिसका विस्तारित रूप आज का पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून है।
यूएन वॉच का काम
यूएन वॉच संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक एनजीओ है। जिसे अमेरिकन जेविस कमेटी (अमेरिकी यहूदी समिति) संचालित करती है। यह संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक परिषद को विशेष परामर्शदात्री स्थिति में एक मान्यता प्राप्त गैर सरकारी संगठन है। यूएन वॉच डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और डारफुर में मानवाधिकारों के हनन से निपटने के लिए सक्रिय रही है। इसके अलावा चीन, क्यूबा, रूस और वेनेजुएला जैसे शासन में मानवाधिकार हनन के खिलाफ भी मुखर रही है।