अनोखा इलाजः डॉक्टरों ने मरीज को मारकर फिर किया जिंदा

Edited By Seema Sharma,Updated: 21 Nov, 2019 02:28 PM

unique treatment the doctor resurrected after killing the patient

अब मरीज मरकर भी जिंदा हो जाएंगे, ऐसा हम नहीं बल्कि अमेरिका के डॉक्टरों का दावा कर रहे हैं। मरीज के गंभीर रूप से घायल होने या फिर दिल का दौरा पड़ने पर उसे अमेरिका के डॉक्टर मुर्दा बनाकर इलाज करेंगे और फिर जिंदा कर देंगे। अमेरिकी डॉक्टरों ने इसके लिए...

इंटरनेशनल डेस्कः अब मरीज मरकर भी जिंदा हो जाएंगे, ऐसा हम नहीं बल्कि अमेरिका के डॉक्टरों का दावा कर रहे हैं। मरीज के गंभीर रूप से घायल होने या फिर दिल का दौरा पड़ने पर उसे अमेरिका के डॉक्टर मुर्दा बनाकर इलाज करेंगे और फिर जिंदा कर देंगे। अमेरिकी डॉक्टरों ने इसके लिए 10 लोगों पर सफल परीक्षण भी किया है। अमेरिका के बाल्टीमोर शहर के यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन सेंटर के डॉक्टरों ने यह हैरान कर देने वाला कारनामा किया है।

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यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन सेंटर के डॉक्टर सैम्युएल टिशरमैन और उनकी सर्जिकल टीम ने इस मेडिकल टेस्ट को अंजाम दिया। डॉ. सैम्युएल टिशरमैन ने बताया कि कई बार मरीज बेहद गंभीर हालत में तो सर्जरी के दौरान ही उसकी मौत हो जाती है। ऐसे में डॉक्टरों के पास उसे बचाने के लिए समय नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि इसलिए अगर डॉक्टर मरीज को उसी घायल अवस्था में मुर्दा बना दें तो उन्हें उसे ठीक करने का समय मिल जाएगा। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन सेंटर के डॉ. सैम्युएल टिशरमैन ने इंसान को मारकर उसका इलाज करने के बाद वापस जिंदा करने की जो तकनीक अपनाई उसका नाम है - इमरजेंसी प्रिजरवेशन एंड रीससिटेशन (EPR) है।

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कैसे दिमाग में आया आइडिया
डॉ. सैम्युएल टिशरमैन के पास एक बार स्वस्थ युवक आया जिसके दिल में किसी ने चाकू मार दिया था लेकिन उसे तत्काल इलाज न मिलने की वजह से उसकी मौत हो गई। जिस पर डॉ. सैम्युएल को बड़ा दुख हुआ। तभी एक दिन वे पढ़ रहे थे कि गंभीर रूप से घायल सुअर को तीन घंटे के लिए मार डाला गया, इलाज के बाद उसे फिर से ठीक कर जिंदा किया गया। तभी उनके दिमाग में यह आइडिया आया कि इंसानों को भी इसी तरह कुछ घंटे मारकर ठीक किया जा सकता है।

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ऐसे होता है इलाज
इस मैडीकल टैस्ट में गंभीर रूप से घायल इंसान को पहले 10 से 15 डिग्री सेल्सियस पर रख दिया जाता है और पूरे शरीर के खून के बेहद ठंडे सलाइन से बदल दिया जाता है। खून को निकालकर सुरक्षित रख देते हैं जिससे दिमाग काम करना बंद कर देता है। ऐसी हालात में घायल इंसान मरा हुआ होता है और फिर डॉक्टर इलाज करते हैं और फिर से खून मरीज के शरीर में भर दिया जाता है। डॉ. सैम्युएल टिशरमैन ने यही पद्धत्ति अपनाते हुए अपनी टीम के साथ मिलकर यह परीक्षण 10 लोगों पर किया।

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डॉ. सैम्युएल टिशरमैन अधिकतम दो घंटे के इलाज के बाद मरीज के शरीर को वापस 37 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर लाए और फिर शरीर में खून का प्रवाह किया। जब शरीर को सामान्य तापमान मिला तो उसने काम करना शुरू कर दिया, दिल धड़कने लगा और खून दिमाग में पहुंचने लगा, धीरे-धीरे पूरा शरीर सामान्य हो गया। अमेरिकी संस्थान यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने डॉ. सैम्युएल टिशरमैन को उनका परीक्षण पूरा करने की अनुमति दी थी और अब भी यह परीक्षण जारी है। डॉ. सैम्युएल टिशरमैन ने कहा कि वे 2020 के अंत तक इस परीक्षण का पूरा परिणाम बताएंगे।

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