Edited By Tanuja,Updated: 23 Apr, 2018 10:41 AM
साउथ एशिया डैमोक्रैटिक फोरम (SADF) के एक वरिष्ठ सदस्य ने पाकिस्तान में मानवाधिकारों के खराब हालत का चौंकाने वाला खुलासा करते पर इसके आंकड़ों पर आंखें मूंदने वाली यूरोपियन यूनियन की रिपोर्ट की आलोचना करते हुए कहा है कि इस्लामाबाद की ''मारो और...
ब्रसेल्सः साउथ एशिया डैमोक्रैटिक फोरम (SADF) के एक वरिष्ठ सदस्य ने पाकिस्तान में मानवाधिकारों के खराब हालत का चौंकाने वाला खुलासा करते पर इसके आंकड़ों पर आंखें मूंदने वाली यूरोपियन यूनियन की रिपोर्ट की आलोचना करते हुए कहा है कि इस्लामाबाद की 'मारो और फेंको' पॉलिसी पहले से भी बदतर स्तर पर पहुंच गई है। बता दें कि ईयू ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति सुधर रही है।
SADF के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर पाउलो कसाका ने कहा कि वह इस बात से सहमत नहीं हो सकते कि पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार आ रहा है। उन्होंने कहा कि उनके पास इस बात के सबूत हैं जिससे साबित हो सके कि स्थिति वास्तव में पहले से भी बुरी हो गई है। एक लेख में कसाका ने कहा कि पाकिस्तान में मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं का अपहरण जारी है। इतना ही नहीं इसके बाद उन्हें मार दिया जाता है और फिर कुछ दिन बाद जब शव मिलते हैं तो उसपर टॉर्चर के निशान मिलते हैं।
कसाका कहते हैं, 'शवों को क्षत विक्षत करना इस बात का प्रतीक है कि पाकिस्तान का कानून कमजोर लोगों को निशाना बनाता है, जिनमें अल्पसंख्यक, गरीब, मानसिक रोगी और बच्चे शामिल हैं।' कसाका ने अपने पक्ष को साबित करने के लिए साल 2017-18 की ऐमनेस्टी इंटरनैशनल की रिपोर्ट का हवाला दिया। कसाका ने कहा, 'बीते साल जून में फेसबुक पर एक कथित ईशनिंदा वाले पोस्ट को लेकर तैमूर रजा को पंजाब प्रांत में आंतकरोधी अदालत ने मौत की सजा सुनाई। सितंबर में एक ईसाई नदीम जेन्म को कोर्ट ने वॉट्सऐप पर ईशनिंदा वाली कविता साझा करने के आरोप में मौत की सजा सुनाई।'