Edited By Tanuja,Updated: 29 May, 2020 04:00 PM
अपनी दोगली नीतियों और महत्वकांक्षाओं के चलते चीन सारी दुनिया की नजरों मे खटक रहा है। पहले कोरोना वायरस महामारी फैलाने को लेकर ...
इंटरनेशनल डेस्कः अपनी दोगली नीतियों और महत्वकांक्षाओं के चलते चीन सारी दुनिया की नजरों मे खटक रहा है। पहले कोरोना वायरस महामारी फैलाने को लेकर और अब हांगकांग में नया सुरक्षा कानून लाने की कोशिश के खिलाफ कई बड़े देश चीन के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। गुरुवार को अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर चीन की आलोचना की और कहा कि हांग कांग में नया सुरक्षा कानून 1984 के ब्रिटेन-चीन के समझौते का उल्लंघन है और इससे उसकी आजादी पर खतरा पैदा होता है।
1997 तक ब्रिटिश उपनिवेश रहा हांगकांग 'वन कंट्री, टू सिस्टम' के तहत चीन को सौंप दिया गया था लेकिन उसे राजनीतिक और कानूनी स्वायत्तता भी दी गई थी। हालांकि, चीन नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के जरिए हांग कांग की स्वतंत्र कानूनी व्यवस्था को खत्म कर देना चाहता है। हांग कांग में अपराधियों को चीन प्रत्यर्पित करने वाले कानून के विरोध में कई महीनों तक विरोध प्रदर्शन हुए थे। दुनिया भर में विरोध के बावजूद चीन दलील दे रहा है कि शहर में अपराध, आतंकवाद और विदेशी ताकतों के हस्तक्षेप को रोकने के मकसद से यह कानून लाया जा रहा है।
चारों देशों ने एक संयुक्त बयान में बीजिंग के कदम पर चिंता जताते हुए कहा है कि हांगकांग अपनी स्वतंत्र पहचान के साथ फलता-फूलता रहा है और नया सुरक्षा कानून उसकी स्वतंत्रता के लिए खतरे की घंटी है और इसे समृद्ध बनाने वाली पूरी व्यवस्था तहस-नहस हो जाएगी। चीन की संसद ने हांग कांग के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पर आगे बढ़ने के फैसले को हरी झंडी दे दी है। तमाम विश्लेषकों और ऐक्टिविस्ट को डर है कि इससे वैश्विक आर्थिक राजधानी के तौर पर खुद को स्थापित कर चुके हांग कांग का अर्द्ध स्वायत्तता का दर्जा छिन जाएगा।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने चीन को चेतावनी दी कि वह अपने कदम पीछे खींच ले। राब ने आगाह किया कि अगर चीन कानून लागू करता है तो वह ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट होल्डर्स (BNO) का दर्जा बदल देगा। इसके बाद हांग कांग में रह रहे तमाम ब्रिटिश पासपोर्ट होल्डर 6 महीने से ज्यादा वक्त के लिए ब्रिटेन में रह सकेंगे और बाद में उनके लिए नागरिकता का रास्ता भी खोला जा सकता है।