अमरीका बना रहा सबसे खतरनाक मिसाइल, रूस-चीन को सिखाएगा सबक

Edited By Tanuja,Updated: 21 Apr, 2018 09:42 AM

us awards lockheed martin 1 billion hypersonic missile contract

अमरीका की उत्तर कोरिया के साथ खींचतान से पूरी दुनिया वाकिफ है लेकिन  अब रूस और चीन के साथ भी अमरीका का तनाव बढ़ता जा रहा है। मौजूदा दौर में जहां अमरीका के रूस के साथ संबंध बेहद निचले स्‍तर पर आ चुके हैं ...

वाशिंगटनः अमरीका की उत्तर कोरिया के साथ खींचतान से पूरी दुनिया वाकिफ है लेकिन  अब रूस और चीन के साथ भी अमरीका का तनाव बढ़ता जा रहा है। मौजूदा दौर में जहां अमरीका के रूस के साथ संबंध बेहद निचले स्‍तर पर आ चुके हैं  वहीं  दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन से भी लगातार संबंध बिगड़ते जा रहे  हैं। रूस व चीन से  बढ़ते खतरे के मद्देनजर अमरीका ने भी सबसे खतरनाक हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने की कवायद शुरू कर दी है।  

अमरीकी वायुसेना इसके विकास पर करीब एक बिलियन डॉलर खर्च कर रही है। इसके लिए लॉकहिड मार्टिन को करीब 928 मिलियन डॉलर का कांट्रेक्‍ट भी दिया गया है। यह मिसाइल आवाज की गति से भी तेज चलने में सक्षम होती है। हाईपरसोनिक कंवेंशनल स्‍ट्राइक वैपन प्रोग्राम की दिशा में यह बड़ा कदम है। अमरीका इसके अलावा टेक्टिकल बूस्‍ट ग्‍लाइड प्राग्राम भी तैयार कर रहा है। यह डापरा की मदद से तैयार किया जा रहा है। यह दोनों ही एक एडवांस प्रोटोटाइप विकसित करने में लगे हैं जिन्‍हें अमेरिकी जेट के जरिए छोड़ा जा सकेगा। आपको बता दें कि भविष्य में हाइपरसोनिक मिसाइल जंग का रुख बदलने में काफी अहम भूमिका निभाएंगी।

अमरीकी डिफेंस डिपार्टमेंट के अधिकारी इस बात को सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि  हाइपरसोनिक मिसाइल के जरिए अमरीका अपने ऊपर होने वाले किसी भी न्‍यूक्लियर अटैक को नाकाम करने की योजना पर काम कर रहा है।  बता दें कि आवाज की गति से भी तेज या फिर 5 मैक से तेज उड़ने वाली मिसाइल को हाइपरसोनिक मिसाइल की कैटेगिरी में शामिल किया जाता है। यह मिसाइल किसी भी मिसाइल सि‍स्‍टम को ध्‍वस्‍त कर सकती है।

पेंटागन रिसर्च एंड डिवैलेपमेंट के हैड माइकल ग्रिफिन मानते हैं कि इस तरह की मिसाइल बनाने की काबलियत चीन और रूस दोनों के ही पास है, इस लिहाज से अमरीका को खतरा बढ़ गया है। उन्‍होंने हाइपरसोनिक मिसाइल के विकास को पहली प्रा‍थमिकता बताया है। उनका कहना है कि इस तरह के खतरे को भांपते हुए यह भी जरूरी है कि हमारे पास ऐसी तकनीक और मिसाइलें हों जिन्‍हें हम बेहद कम समय में लड़ाकू विमानों से दाग कर हमला नाकाम कर सकें।

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